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यूएन में फलीस्तीन के लिए अहम दिन

२९ नवम्बर २०१२

संयुक्त राष्ट्र फलीस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देना चाहता है. देश बन कर भी फलीस्तीन संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं बनेगा लेकिन इसके बावजूद अमेरिका और जर्मनी इस कदम का विरोध कर रहे हैं.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

फलीस्तीन को अब इस्राएल और अमेरिका से धमकियां मिल रही हैं. वे कह रहे हैं कि पश्चिमी तट की सरकार को आर्थिक सहयोग देने पर रोक लगाएंगे जिससे कि फलीस्तीन के अस्तित्व को ही खतरा हो जाएगा. फलीस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव के मुताबिक उसे यूएन में "सत्ता" की जगह एक गैर सदस्य देश के तौर पर मान्यता दी जाएगी.

पर्यवेक्षक के तौर पर फलीस्तीन अगर संयुक्त राष्ट्र में शामिल होता है तो वह अंतरराष्ट्रीय आपराधि अदालत में अपील कर सकता है और कुछ और संगठनों का सदस्य बन सकता है जो इस वक्त मुमकिन नहीं है. अमेरिका, जर्मनी और इस्राएल भले ही फलीस्तीन का साथ नहीं दे रहे हों लेकिन कई विकासशील देश उसका सहयोग कर रहे हैं. फलीस्तीनी अधिकारी यूरोप में भी अमीर देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं.

Mahmud Abbas bei den UN ARCHIVBILD 2011
तस्वीर: AP

फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने प्रस्ताव को जीत दिलाने के लिए एक बड़ी मुहिम शुरू की है और यूरोप में कई देशों ने उन्हें अपना समर्थन भी दिया है. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन और स्विट्जरलैंड ने अपने समर्थन का वादा किया है. ब्रिटेन ने कहा है कि वह फलीस्तीन के हक में वोट देगा लेकिन इसके लिए फलीस्तीन को कुछ शर्तें माननी होंगी. माना जा रहा है कि उसे आराम से 130 वोट मिल जाएंगे और वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगा.

पिछले हफ्ते इस्राएल और गजा में इस्लामी चरमपंथियों के साथ संघर्ष के बाद कुछ यूरोपीय देशों ने अब्बास को अपना सहयोग दिया. हमास का कहना है कि वे इस्राएल को खत्म करना चाहते हैं और इस्राएल के साथ शांति समझौते का विरोध करते हैं. अमेरिका, जर्मनी और इस्राएल इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट करेंगे. जर्मनी ने कहा है कि वह फलीस्तीनी प्रस्ताव का समर्थन तो नहीं करता, लेकिन हो सकता है कि वह वोटिंग में शामिल ही न हो. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उप विदेश मंत्री बिल बर्न्स और अमेरिका की तरफ से मध्यपूर्व दूत डेविड हेल ने न्यू यॉर्क पहुंचे राष्ट्रपति अब्बास को प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के सामने रखने से रोकने की कोशिश की लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि फलीस्तीन गलत रास्ते पर जा रहा है और फलीस्तीन के लोगों को सीधी बातचीत के बाद ही शांति हासिल होगी.

Demonstrationen im Westjordanland
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एमजी/एनआर(एपी, रॉयटर्स)

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