यूरोपीय कोर्ट में बदलाव की कोशिश में है ब्रिटेन
१९ नवम्बर २०११मानवाधिकार कोर्ट काउंसिल के अधिकार क्षेत्र में आता है. न्याय मंत्री केनेथ क्लार्क ने कहा कि ब्रिटेन इन बदलावों के लिए कोशिश कर रहा है. लंदन में अगले साल होने वाले सम्मेलन में इन बदलावों पर बात होनी है और ब्रिटेन 47 सदस्यों वाली परिषद के देशों को मनाने के लिए लॉबीइंग कर रहा है.
क्लार्क ने अखबार द डेली टेलीग्राफ से कहा, "हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं वो उसकी भूमिका को तय करेगा, ताकि वह मानवाधिकार से जुड़े गंभीर मुद्दों को देखे, जैसा कि एक अंतरराष्ट्रीय कोर्ट को करना चाहिए."
क्या चाहता है ब्रिटेन
ब्रिटेन की कैबिनेट में यूरोपीय मामलों के एकमात्र दक्षिणपंथी क्लार्क ने कहा कि ब्रिटेन चाहता है कि कोर्ट अपनी सही भूमिका में लौटे, यानी जब कोई सदस्य देश, उसकी कोर्ट या उसकी संसद यूरोपीय मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करे, तब एक अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की तरह यह गंभीर भूमिका निभाए. क्लार्क ने कहा, "किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था से कोई फैसला करवाने में कम से कम 20 साल लगते हैं. पहले दो साल तो आप मेमोरैंडम में लगाए गए कोमा पर सहमति बनाने में ही बिता देते हैं. लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए."
क्लार्क ने कहा कि बहुत सारे सदस्य देश इन बदलावों की कोशिश कर रहे हैं और उनमें से बहुतों को लगता है कि ब्रिटेन के अध्यक्ष रहते यह काम करने का सबसे सही समय है. क्लार्क ने कहा, "वे मानते हैं कि हम इस बात को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सबसे मजबूत उम्मीद हैं."
क्यों सुधार चाहता है ब्रिटेन
जिन सुधारों की बात की जा रही है, अगर वे हो जाते हैं तो यूरोपीय मानवाधिकार कोर्ट ब्रिटेन के जजों को आप्रवासन के मुकदमों में फैसले सुनाने से नहीं रोक पाएगा. क्लार्क कहते हैं कि सुधार होने पर ऐसा नहीं हो पाएगा कि हर वह आदमी जो देश से निकाले जाने के खिलाफ सारे तर्क खो चुका है, उठकर मानवाधिकार कोर्ट के मुकदमों की लाइन में खड़ा हो जाए और उसे इंतजार के नाम पर कई साल मिल जाएं. हाल के सालों में ब्रिटेन में आप्रवासन को लेकर सख्ती हुई है. उसने अपने नियम कड़े किए हैं ताकि ज्यादा विदेशी न आ सकें.
यूरोप की मानवाधिकार कोर्ट 1959 में बनाई गई थी. यह जर्मनी से लगती सीमा पर फ्रांस के शहर स्ट्रासबुर्ग में है. काउंसिल ऑफ यूरोप के सभी 47 देश मानवाधिकारों पर यूरोपीय कन्वेंशन के सदस्य हैं.
रिपोर्टः एएफपी/वी कुमार
संपादनः एन रंजन