यूरोप का संकट भारत की चिंता
१६ जून २०१२मनमोहन सिंह ने यूरोप की स्थिति को भारत के लिए भी एक चिंता बताया, "वहां जारी मुश्किलों के कारण वैश्विक बाजार धीमे होंगे और हमारा आर्थिक विकास इससे प्रभावित होगा. हमारी उम्मीद है कि यूरोपीय नेता जारी वित्तीय संकट से निकलने के दृढ़ उपाय करेंगे."
भारत में हाल ही में आर्थिक विकास के आंकड़े जारी हुए थे, जिनके मुताबिक जनवरी से मार्च तक भारत में आर्थिक बढ़ोतरी सिर्फ 5.3 फीसदी से हुई. यह पिछले नौ साल का सबसे धीमा विकास है.
तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत इन दिनों आर्थिक सुधारों में कमी, ऊंची ब्याज दरों और व्यापार विश्वास गिरने से जूझ रहा है.
प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी दोनों ही ने यूरो जोन की खराब हालत को भारतीय अर्थव्यवस्था के धीमे होने का जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि वैश्विक स्तर पर विकास की गति धीमी होने के कारण कुछ करने की संभावना नहीं है.
इस साल 31 मार्च को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में भारत के बढ़ते बजट घाटे को काबू में करने का भी सरकार पर दबाव है. इतना ही नहीं स्टैंडर्ड एंड पुअर ने तो भारत की निवेश रेटिंग घटाने की भी चेतावनी दी है. अप्रैल में एजेंसी ने भारत की क्रेडिट रेटिंग स्थिर से घटा कर निगेटिव कर दी थी. फिलहाल भारत की निवेश रेटिंग बीबीबी है जो कि 'जंक' यानी बेकार से एक ही डिग्री ऊपर है.
जी20 देशों की बैठक से पहले प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि वैश्विक विकास बढ़ाने की जरूरत है, "यह अनिवार्य है कि जी20 देश नीतियां लागू करने और बढ़ते विकास के लिए एक साथ काम करें. भारत अपनी क्षमता के हिसाब से इस उद्देश्य के लिए काम कर रहा है." हालांकि ब्राजील उतनी तेजी से विकास नहीं कर पा रहा जितना अनुमान था, लेकिन प्रधानमंत्री का कहना है कि ब्रिक्स देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास के नए ध्रुव हैं.
इस बार प्रधानमंत्री रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर, चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ सहित श्रीलंका और नेपाल के राष्ट्राध्यक्षों से भी बातचीत करेंगे. मेक्सिको में 18-19 जून को हो रही जी20 देशों की बैठक में यूरो और यूरोजोन का वित्तीय संकट बातचीत का विशेष मुद्दा होंगे.
एएम/आईबी (एएफपी, पीटीआई)