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जी20:महिलाओं की हालत सबसे खराब भारत में

१३ जून २०१२

जी-20 के सदस्य देशों में महिलाओं की स्थिति पर की गई स्टडी के अनुसार भारत में महिलाओं की हालत सबसे खराब है. कनाडा में समानता, महिला अधिकारों की रक्षा करने वाले कानून और रोजमर्रा की जिंदगी में उनका शोषण सबसे कम हैं.

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तस्वीर: Lakshmi Narayan

18 जून को मैक्सिको में होने जा रहे जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के पहले थॉम्सन रॉयटर्स फाउंडेशन से जुडी रिसर्च कंपनी 'ट्रस्ट लॉ' ने यह स्टडी जारी की है. जी-20 संगठन में दुनिया की सबसे बडी अर्थव्यवस्थाएं और यूरोपीय संघ शामिल हैं, लेकिन ईयू को स्टडी में शामिल नहीं किया गया.

भारत सूची में 19वें स्थान पर हैं. 18वें स्थान पर सउदी अरब है. इस स्टडी पर काम करने वालों में शामिल निकलस क्रिस्टोफ कहते हैं, "भारत अब भी काफी गरीब देश है, लेकिन सउदी अरब अमीर है. फिर भी दोनों देशों में एक समानता है कि आपका भविष्य सिर्फ तभी बन सकता है जब आपको अधिकार भी मिले होते हैं. और वह अधिकार इस बात पर निर्भर करता है कि आपका ऐक्स क्रोमोसोम ज्यादा है क्योंकि आप पुरूष हो या आपके जीन्स में एक वाई क्रोमोसोम भी शामिल है."

Indien Baumwolle Feld Erne Frau Arbeiterin
तस्वीर: AP

शोध के मुताबिक सभी प्रयासों के बावजूद भारत में भ्रूण हत्या, बच्चों की शादियां, दहेज पाने के लिए महिलाओं की हत्या करना या उनका यौन शोषण जैसी समस्यायें समाज में अब भी मौजूद हैं. 'सेव द चिलड्रेन नाम' के गैर सरकारी संगठन के गुलशन रहमान कहते हैं, "भारत में आज भी महिलाओं को एक वस्तु की तरह बेच दिया जाता है, हर साल उनको जिंदा जलाने के मामले सामने आते हैं या उनका घरेलू कामों के लिए नौकरानी के तौर पर शोषण होता है." रहमान ने यह भी कहा, "यह सब तब भी हो रहा है जब 2005 में पास प्रगतिशील घरेलू हिंसा कानून के मुताबिक महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ किसी तरह की हिंसा का इस्तेमाल करना अपराध है."

गुलशन रहमान उन 370 लोगों में से एक हैं जिन्होंने स्टडी के लिए कराए गए सर्वे में हिस्सा लिया है. यह स्टडी औपचारिक आंकड़ों पर आधारित नहीं है, बल्कि उसमें विशेषज्ञों की राय शामिल की गई है. हालांकि स्टडी तैयार करने वालों का मानना है कि स्टडी के नतीजे संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों से मेल खाते हैं. ट्रस्ट लॉ ने 370 सहायता कर्मियों, अधिकारियों, पत्रकारों और रिसर्चरों को जी-20 में शामिल 19 देशों को आंकने के लिए कहा था. देशों का मूल्यांकन छह श्रेणियों में किया गया - स्वास्थ्य सुविधाएं, हिंसा का शिकार होना, राजनीति में हिस्सेदारी, कामकाज के क्षेत्र में संभावनाएं और पढाई करने के मौके. साथ में यह भी देखा गया कि इन देशों में कितनी महिलाएं मानव तस्करी या दासता का शिकार होती हैं. सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोग 63 देशों के थे और उनमें से कई बडे अंतरराष्ट्रीय और धार्मिक संगठन के भी थे.

Frauen in einem Dorf im Distrikt Murshidabad im Bundesstaat West Bengalen
तस्वीर: DW

अमेरिका में निराशाजनक हालात

अमेरिका का सूची में 6ठे स्थान पर होना शायद आश्चर्यजनक लग सकता है. जबकि कानूनी तौर पर महिलाओं को समाज में समान अधिकार मिले हैं और काम काज के मामले भी उनके मौके बहुत अच्छे हैं. लेकिन फिर भी विशेषज्ञों का मानना था कि अमेरिका में यह देखते हुए कि वहां स्वास्थ्य का खर्च लोगों को खुद उठाना पड़ता है, महिलाएं पुरूषों के मुकाबले कई गुना ज्यादा प्रभावित होती हैं. स्टडी में भाग लेने वाले कई विशेषज्ञों का यह भी मानना था कि बदलते हुए वक्त में महिला अधिकारों की रक्षा खास जरूरी है.

मानवाघिकार संगठन ह्यूमन रायट्स वॉच की मिंकी वोर्डन का कहना है, "एक ऐसे वक्त में जहां राजनैतिक तौर पर उथल पुथल हो रही है यह देखा गया है कि यह महिलाओं के लिए ऐसा वक्त था जिसमें वह ज्यादा कमजोर पड़ गई क्योंकि उनके अधिकार बढे नहीं बल्कि कम कर दिए गए." स्टडी तैयार करने वाले निकोलस क्रिसटोफ इस बात पर जोर देते हैं कि वैश्विक एजेंडे पर महिला अधिकारों को सबसे ऊपर रखा जाना चाहिए. वे कहते हैं, "प्रगति और टिकाऊ विकास महिलाओं के जरिए ही हो सकता है. जो देश महिलाओं को अधिकार नहीं देते या महिलाओं को अत्याचारों से नहीं बचाते हैं, वे लंबे दौर में सामाजिक और आर्थिक लिहाज से पीछे रह जाएंगे.'

ट्रस्ट लॉ की ताजा स्टडी के परिणाम:            

1. कनाडा 2. जर्मनी 3. ब्रिटेन 4. ऑस्ट्रेलिया 5. फ्रांस 6. अमेरिका 7. जापान 8. इटली 9. अर्जेंटीना 10. दक्षिण कोरिया

11. ब्राजील 12. तुर्की 13. रूस 14. चीन 15. मैक्सिको 16. दक्षिण अफ्रीका 17. इंडोनेशिया 18. सउदी अरब 19. भारत

पीई/ एमजे (रॉयटर्स )

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