यूरोप को प्रदूषण टैक्स नहीं देगा चीन
६ फ़रवरी २०१२बीजिंग ने एक बार फिर चेतावनी दी कि यूरोपीय संघ की योजना एयरलाइन उद्योग में 'कारोबारी युद्ध' छेड़ सकती है. चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक चीन ने यूरोपीय संघ का नया शुल्क चुकाने को लेकर अपनी एयरलाइन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया. यानी अगर कोई चीनी एयरलाइन शुल्क चुकाएगी तो उनसे चीन के सख्त कानून का सामना करना होगा.
चीन की स्टेट काउंसिल की वेबसाइट में कहा गया है, "चीन के सिविल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने हाल ही में सभी चीनी एयरलाइन कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि बिना सरकार की अनुमति के वे ईयू इटीएस में हिस्सा न लें."
चीन के इस सख्त रुख से यूरोपीय संघ असहज महसूस कर रहा है. चीन में तैनात यूरोपीय संघ के राजदूत ने उम्मीद जताई कि मामला जल्द सुलझ जाएगा. बीजिंग में हफ्ते भर बाद चीन और यूरोपीय संघ के अधिकारी मिलने जा रहे हैं. राजदूत मार्कस एडेरेर ने बीजिंग में कहा, "यूरोपीय संघ इस मसले का अंतरराष्ट्रीय हल चाहता है. यही आगे का रास्ता है, उम्मीद है कि बातचीत के जरिए सभी पक्ष इस पर एक समझौता कर सकेंगे."
चीन का कहना है कि यूरोपीय संघ के कार्बन उत्सर्जन शुल्क से उसके विमान उद्योग को सालाना 12.5 करोड़ डॉलर का नुकसान होगा. 2020 तक यह रकम चार गुना बढ़ जाएगी. कार्बन उत्सर्जन शुल्क उन एयरलाइन्स को देना होगा जो यूरोपीय संघ के हवाई अड्डों का इस्तेमाल करेंगे. यूरोपीय संघ इसे एक जनवरी से लागू कर चुका है.
यूरोपीय संघ का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यह शुल्क लगाया जाना जरूरी है. ईयू के मुताबिक एयरलाइन्स इतना खर्च उठा सकती हैं. इसके लिए एक लंबी रिर्टन फ्लाइट के टिकट में 4 से 24 यूरो का इजाफा करना होगा.
चीन के अलावा अमेरिका, रूस और भारत भी यूरोपीय संघ के शुल्क का विरोध कर रहे हैं. हालांकि दुनिया की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी डेल्टा एयरलाइंस ने यूरोप और अमेरिका के रिटर्न टिकट के दाम छह यूरो बढ़ा दिए हैं. जर्मन एयरलाइन लुफ्थांजा का कहना है कि वह यात्रिओं से फ्यूल सरचार्ज का पैसा लेगी. ब्रसेल्स एयरलाइन्स अपने इंटरनेशनल टिकट 10 से 135 यूरो तक महंगे कर चुकी है. यूरोप के भीतर टिकट तीन से 39 यूरो महंगे कर दिए गए हैं.
एयरलाइन कंपनियां एक तरफ जहां टिकट बढ़ा रही हैं, वहीं वह मिलकर कार्बन उत्सर्जन शुल्क का विरोध भी कर रही है. कंपनियों का कहना है कि शुल्क की वजह से अगले आठ साल में एयरलाइन उद्योग को 23.8 अरब डॉलर चुकाने होंगे.
यूरोपीय संघ ने 2005 में ईटीएस यानी इमिशन ट्रेडिंग स्कीम पेश की. इसका मकसद कार्बन उत्सर्जन को कम करना है. ईयू के मुताबिक दुनिया भर में हो रहे कार्बन उत्सर्जन का तीन फीसदी हिस्सा विमानों की वजह से है. नियमों मुताबिक एयरलाइन्स को 2012 में 15 फीसदी उत्सर्जन शुल्क चुकाना होगा. मौजूदा बाजार दर के हिसाब से यह रकम 25.6 करोड़ यूरो बनेगी. 2013 से शुल्क पांच फीसदी बढ़कर 18 फीसदी हो जाएगा. जो एयरलाइन्स यह शुल्क नहीं चुकाएगी उसे यूरोपीय संघ के 27 देशों में उतरने की अनुमति नहीं होगी.
चीन की एयरलाइन कंपनियों ने 2012 के लिए वार्षिक उत्सर्जन फीस चुका दी है. अप्रैल 2013 तक चीन की कंपनिया बिना ईटीएस चुकाए यूरोप में उड़ान भरती रहेंगी. उनके लिए ईटीएस मई 2013 से बाध्यकारी होगा.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल