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विकास की कीमत पर उत्सर्जन कटौती नहीं: भारत

२ नवम्बर २०१०

भारत और चीन का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अलग अलग हो सकता है लेकिन इस बात पर दोनों एकमत है कि विकास दर की कीमत पर उत्सर्जन में कटौती नहीं की जाएगी. दोनों इस बारे में अंतरराष्ट्रीय समझौता का विरोध करते हैं.

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आर्थिक वृद्धि से समझौता नहींतस्वीर: UNI

भारत के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा है, "चीन का उत्सर्जन भारत के मुकाबले चार गुना है. इसीलिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में दोनों देशों को एक खाने में नहीं रखा जा सकता." चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की कांग्रेस पार्टी की तरफ से भारत चीन सबंधों पर नई दिल्ली में कराए गए एक सेमिनार में रमेश ने कहा, "हालांकि उत्सर्जन के स्तर में सिर्फ फर्क नहीं है, बल्कि बड़ा फर्क है, लेकिन निश्चित तौर पर यह हम दोनों के हित में है कि ऐसा कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता न हो जिससे हमारी आर्थिक वृद्धि पर असर पड़े."

चीन दुनिया में सबसे ज्यादा उत्सर्जन करने वाला देश है. उसके हिस्से दुनिया का 22 प्रतिशत उत्सर्जन आता है. इसके बाद 21 प्रतिशत के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर है. यूरोपीय संघ में दुनिया का 13 प्रतिशत उत्सर्जन होता है. भारत तो दुनिया भर में होने वाले कुल उत्सर्जन में सिर्फ पांच प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है.

Flash-Galerie Luiz Inacio Lula da Silva Greenpeace UN-Klimakonferenz in Kopenhagen
तस्वीर: AP

भारत और चीन विकसित देशों की तरफ से ऐसा कोई समझौता थोपने का विरोध कर रहे हैं जिसमें जलवायु संधि के मुताबिक कटौती की बाध्यता को पूरा करने में नाकाम रहने वाले देशों पर टैक्स लगाने का प्रावधान हो. ऐसा समझौता होने पर दुनिया में सबसे तेजी से उभरते हुए देश भारत और चीन को अपना उत्सर्जन नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने होंगे.

वैसे रमेश का कहना है कि अगले दस साल के दौरान आक्रामक तरीके से आर्थिक वृद्धि के अनुमानों को देखते हुए भी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी 2020 तक 8 से 9 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी. वह कहते हैं, "जहां तक उत्सर्जन की बात है तो हम उस श्रेणी में नहीं आते. भारत और चीन में दूसरे देशों के मुकाबले काफी कम प्रति व्यक्ति आय है. लेकिन दोनों में से कोई देश नहीं चाहेगा कि भविष्य में हमारी आर्थिक प्रगति की संभावनाओं के रास्ते में किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते से बाधाएं खड़ी की जाएं."

पर्यावरण मंत्री ने साफ किया कि विकसित देशों की तरफ से बार बार जोर दिए जाने के बावजूद भी आंख बंद कर कार्बन कटौती के किसी लक्ष्य को मान लेने का सवाल ही नहीं उठता. पिछले साल कोपेनहेगन में हुई जलवायु परिवर्तन शिखर बैठक में भारत और चीन ने ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के साथ मिल कर यही रूख जताया था.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एमजी

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