यूरो पर जर्मनी नहीं करेगा घटिया समझौता
८ दिसम्बर २०११शिखर भेंट से पहले बर्लिन में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि गुरुवार और शुक्रवार को होने वाले शिखर सम्मेलन में कोई घटिया समझौता नहीं किया जाएगा. मैर्केल राष्ट्रीय सरकारों द्वारा अंधाधुंध कर्ज लेने पर रोक लगाना चाहती हैं. इसके अलावा वे यूरोपीय संस्थानों को इतने अधिकार देने की मांग कर रही हैं कि वे भारी कर्ज की स्थिति में सदस्य देशों पर बचत के लिए दबाव डाल सकें.
जर्मन सरकार के प्रतिनिधि यहां तक कह रहे हैं कि यदि सहमति पाने में देर लगती है तो जरूरत पड़ने पर सम्मेलन का समय बढ़ाया जा सकता है. अधिकारियों के अनुसार जर्मन चांसलर 27 सदस्यों वाले यूरोपीय संघ में 17 यूरो देशों के अलावा अन्य देशों की सहमति का स्वागत करेंगी. लेकिन यूरो मुद्रा चलाने वाले 17 सदस्य देशों की सहमति जरूरी होगी.
यूरोपीय संघ में संशोधन की जर्मन चांसलर की मांग का विरोध भी हो रहा है. भूमंडलीकरण विरोधी संगठन अटाक ने कहा है कि संधि में परिवर्तन की योजना अलोकतांत्रिक, असामाजिक और संकट बढ़ाने वाली है.जर्मन अटाक के अलेक्सिस पासादाकिस ने कहा है, "अपने आप लगने वाले नए प्रतिबंधों से राष्ट्रीय संसदों के लोकतांत्रिक अधिकारों में कटौती होगी. यूरोपीय संघ के संस्थान इस तरह लोकतंत्र के संकट की ओर बढ़ रहे हैं."
बुलडॉग के तेवर
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने संधि में संशोधन के मुद्दे पर कड़ी सौदेबाजी के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि वे किसी भी ऐसे संशोधन पर दस्तखत नहीं करेंगे जिसमें ब्रिटिश हितों की सुरक्षा की गारंटी न हो. संसद में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वे "बुलडॉग वाले तेवर" के साथ ब्रसेल्स जाएंगे.
इस बात पर संदेह है कि सभी सदस्य देशों की जरूरी सहमति शीघ्र हासिल हो सकेगी या हो सकेगी भी या नहीं. चेक गणतंत्र के विदेश मंत्री कारेल श्वार्त्सेनबर्ग ने संशोधनों के खिलाफ चेतावनी दी है क्योंकि उसके बाद जनमत संग्रह की नौबत आ सकती है. स्वीडन के विदेश मंत्री कार्ल बिल्ट ने भी चेतावनी दी है कि यदि भविष्य में यूरोपीय न्यायालय राष्ट्रीय संसदों का नियंत्रण करेगा तो संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांत पर सवाल उठ जाएगा.
बाजार पर नजर
ब्रसेल्स में संकट को सुलझाने की कोशिश हो रही है, लेकिन उससे जनमत और बाजार शांत नहीं हो रहे हैं. सहमति की संभावना पिछले दिनों की तुलना में कम हो गई है और जर्मन अधिकारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि कुछ देशों में स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा जा रहा है.
मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी यूरो स्थिरता नियमों को संधि में शामिल किए जाने के अपने प्रस्ताव को यूरोपीय संघ को भेज दिया है. यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हरमन फान रोमपॉय को भेजे गए एक साझा पत्र में उन्होंने लिखा है, "हमारा विश्वास है कि हमें तुरंत कदम उठाना चाहिए."
पिछले सोमवार को ही दोनों नेताओं ने पेरिस में संधि में संशोधन का पक्ष लिया था. अपने आप लगने वाले प्रतिबंधों के डर से सदस्य देश आर्थिक स्थिरता की राह पर चलेंगे. संघ के दो बड़े देशों के प्रस्ताव पर छोटे देश खफा हैं. वे उनके आदेश पर नहीं चलना चाहते. इसकी वजह से सहमति इतनी आसान नहीं होगी.
रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा
संपादन: ए जमाल