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राजनीति के जाम में फंसी रिटेल सुधार की गाड़ी

२९ नवम्बर २०११

खुदरा क्षेत्र में कारोबार के लिए सुधारों का एलान करने के बाद भारत सरकार मुश्किलों में फंस गई है. विरोध न सिर्फ विपक्ष से बल्कि सहयोगी पार्टियों से भी हो रहा है. रिटेल पर बुलाई सर्वदलीय बैठक बेनतीजा खत्म.

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तस्वीर: AP

खुदरा क्षेत्र में सुधार का जबर्दस्त विरोध मंगलवार को भारतीय संसद के दोनों सदनों में भी दिखा जब हंगामे के वजह से यहां कार्यवाही नहीं चल सकी और फिर इसे स्थगित कर दिया गया. भारतीय सांसद अंतरराष्ट्रीय सुपर बाजारों के भारत आने का विरोध कर रहे हैं. इस विरोध में छोटे दुकानदार, व्यापार संगठन, राज्यों के असरदार नेता और विपक्ष के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन के कई सांसद भी शामिल हो गए हैं. मंगलवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक भी खत्म हो गई और कोई समाधान नहीं निकला.

Murli Manohar Joshi
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सत्ताधारी गठबंधन के बड़े घटकों में से एक तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, "हमने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है. इस तरह के फैसले सरकार में शामिल घटकों से सलाह के बाद लिए जाने चाहिए." इसके साथ ही उन्होंने सरकार की उस आलोचना पर मुहर लगा दी जिसमें कहा जा रहा है कि कैबिनेट ने बिना संसदीय वोट के ही यह फैसला कर लिया. विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता मोहन सिंह ने कहा है कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंजूरी देने के फैसले का तब तक विरोध होता रहेगा जब तक इसे वापस नहीं ले लिया जाता. सर्वदलीय बैठक के बाद मोहन सिंह ने कहा, "जब तक सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती संसद में कामकाज नहीं होगा."

विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां लंबे समय से भारतीय ग्राहकों को सीधे सामान बेचने के लिए खेमेबंदी कर रही हैं. विदेशी कंपनियों का सीधे सीधे यहां आना एक बड़ा बदलाव लाएगा क्योंकि भारत में ज्यादातर दुकानें छोटी छोटी हैं जिन्हें एक परिवार के लोग मिल कर चलाते हैं.

Manmohan Singh Indien Ministerpräsident
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बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा, "विपक्ष की मांग है कि इस फैसले को वापस लिया जाए. यह साफ है कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंजूरी देने के लिए खेमेबाजी की है." बीजेपी नेता ने कहा कि इस नीति से देश के किसानों और खुदरा व्यापारियों को नुकसान होगा. उन्होंने याद दिलाया, "जर्मनी ने पहले ही वालमार्ट को अपने देश से बाहर कर दिया है." वैसे जर्मनी में भारी घाटे के बाद वालमार्ट ने खुद ही अपने स्टोर बंद कर दिए थे. सरकार और समय की मांग कर रही है इसलिए संसद में गतिरोध आगे बढ़ता जा रहा है. वामपंथी पार्टियों ने भी इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.

2009 में दूसरी बार देश की कमान संभालने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सुधारों को लागू कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. संसद की कार्यवाही का न चलना अब रोजमर्रा की बात हो गई है. बड़े पैमाने पर फैला भ्रष्टाचार और आसमान छूती कीमतों ने विपक्ष को सरकार के कामकाज में बाधा डालने का अच्छा मौका दे दिया है.

रिपोर्टः पीटीआई/ एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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