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रिश्ते सुधारने चले पाकिस्तान अमेरिका

२ अगस्त २०१२

अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी कमांडर पाकिस्तान का दौरा कर रहे हैं. पाकिस्तान सेना के मुताबिक जनरल जॉन एलन पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर बेहतर सुरक्षा पर बातचीत के जरिए आपसी संबंधों को बेहतर करने की कोशिश करेंगे.

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तस्वीर: dapd

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में नाटो सेनाओं की सप्लाई के लिए अपने रास्ते को खोला है. महीनों से चल रहे इस विवाद के बाद पहली बार अमेरिकी जनरल जॉन एलन पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी से मुलाकात करेंगे. मंगलवार को पाकिस्तान और अमेरिका ने नाटो सप्लाई के सिलसिले में समझौते पर हस्ताक्षर किए. 2015 के अंत तक नाटो के ट्रक बिना किसी रोक टोक के पाकिस्तान से अफगानिस्तान जा सकेंगे. एलन का दौरा अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर करने की कोशिश है. इस बीच पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उल इस्लाम भी वॉशिंगटन के दौरे पर हैं. इस्लाम ने बुधवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के अधिकारियों से मुलाकात की.

लगभग डेढ़ सालों से पाकिस्तान और अमेरिकी संबंधों में तनाव चल रहा है. 2010 में अमेरिकी खुफिया अधिकारी रेमंड डेविस को लाहौर में हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया जिसके बाद पाकिस्तान में आम लोग भी अमेरिका के खिलाफ हो गए. पिछले साल मई में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और बिगड़ गए. फिर नवंबर में नाटो के हवाई हमले में पाकिस्तान के 24 सैनिकों की मौत हुई और इस्लाबाद बिफर पड़ा. उसने नाटो के सप्लाई रूट को बंद कर दिया.

NATO Afghanistan Gebäude
तस्वीर: picture-alliance/Ton Koene

2014 तक नाटो सौनिक अफगानिस्तान से वापस लौटेंगे. इसके बाद अफगानिस्तान में स्थिरता सुरक्षित करने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों को पाकिस्तान की जरूरत पड़ेगी. लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान खुद सीमा पर आतंकवाद को लेकर बहस में फंसे हुए हैं. अमेरिका ने इससे पहले भी पाकिस्तान से कहा है कि वह हक्कानी नेटवर्क के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करे. हक्कानी नेटवर्क अल कायदा से जुड़ा हुआ है और अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन करता है. आरोप हैं कि अफगान तालिबान के कई नेता पाकिस्तान की सरहद के पास कबायली इलाकों में छिपे हुए हैं. अमेरिका उन पर ड्रोन हमले कर रहा है. पाकिस्तान में आम जनता इन अमेरिकी हमलों के खिलाफ है. लेकिन अमेरिका का कहना है कि इसके बिना आतंकवादियों को खत्म करना मुश्किल काम होगा.

एमजी/ओएसजे (एएफपी)

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