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रुश्दी लिख रहे हैं उन दिनों की दास्तान

११ अक्टूबर २०१०

सलमान रुश्दी मशहूर लेखक हैं, लेकिन शैतानी आयतें किताब के लेखक की चर्चा उन्हें अयातोल्ला खुमैनी से मिले फतवे की वजह से ज्यादा होती है. अब अपने संस्मरण में वे इस फतवे के साथ अपनी जिंदगी की दास्तान सुनाने जा रहे हैं.

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तस्वीर: DW/Cristian Stefanescu

सलमान रुश्दी लिख रहे हैं. अभी अभी बच्चों के लिए लिखी उनकी किताब आई है, जिसका शीर्षक है, लुका एंड द फायर ऑफ लाइफ. इसके अलावा उन्होंने 1981 में लिखे अपने प्रसिद्ध उपन्यास अर्धरात्रि के बच्चे की पटकथा लगभग समाप्त कर ली है.

लेकिन पाठकों की दिलचस्पी खासकर उनके संस्मरण में है. समाचार एजेंसी रॉयटर के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वे लगभग 100 पृष्ठ लिख चुके हैं, और यह किताब लगभग चौगुनी होने वाली है. उनका ख्याल है कि अगले साल के अंत तक यह संस्मरण पूरा हो जाएगा. वैसे यह इस पर भी निर्भर करेगा कि अगले साल अर्धरात्रि के बच्चे पर फिल्म बनकर तैयार होती है या नहीं. दीपा मेहता इस फिल्म का निर्देशन करने वाली हैं.

1988 में रुश्दी का चौथा उपन्यास शैतानी आयतें प्रकाशित हुआ था. एक साल बाद अयातोल्ला खुमैनी ने इस उपन्यास के कारण उन पर मौत का फतवा जारी किया. सलमान रुश्दी का भूमिगत जीवन शुरू हुआ, हालांकि वे कभी कभी सार्वजनिक रूप से सामने आते रहे. 1989 से 1998 तक के इस दौर के बारे में वे अपने संस्मरण में बताना चाहते हैं. वे कहते हैं, "बहुतों को पता नहीं है कि गोपनीयता के पर्दे के पीछे क्या हुआ था."

रुश्दी ने कहा कि संस्मरण में हालांकि मोटे तौर पर फतवे की पृष्ठभूमि की चर्चा होगी, लेकिन यह मूलतः एक मानवीय कहानी है. वे इसमें बताएंगे कि सिर्फ उन पर ही नहीं, बल्कि उनके बच्चों, उनकी मां और नजदीक के दूसरे लोगों पर क्या गुजरी. रुश्दी के अनुसार इस समय के बारे में सूचनाओं का अभाव है, उनका संस्मरण इसे दूर करने की कोशिश करेगा. इस सिलसिले में काफी अटकलें लगाई जाती रही, लेकिन वे अब तक एक संस्मरण लिखने की स्थिति में नहीं थे.

भूमिगत रहने के दौर में सलमान रुश्दी ने अपने बड़े बेटे जाफर के लिए हारुन और कथासागर नाम से बच्चों का एक उपन्यास लिखा था. उन्होंने कहा कि उनका छोटा बेटा मिलन हमेशा कहता रहा कि उसके लिए उन्होंने कोई किताब नहीं लिखी है. इसलिए अब उन्होंने छोटे बेटे के लिए लुका एंड द फायर ऑफ लाइफ नाम से एक नई किताब लिखी है. हालांकि यह उपन्यास ऐक्शन और वीडियो गेम्स से भरपूर है, लेकिन इसमें असहिष्णुता और नश्वरता जैसे विषयों को भी छुआ गया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: वी कुमार

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