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रेडियोएक्टिव मशरूमों ने जापान की मुश्किल बढ़ाई

९ अप्रैल २०१२

जापान के मशरूमों में रेडियोएक्टिव तत्व पाए गए. फुकुशिमा से 300 किलोमीटर दूर उगाए गए इन मशरुमों तक रेडियोएक्टिव विकीरण कैसे पहुंचा, इसकी जांच की जा रही है. मशरूमों के निर्यात पर रोक लगा दी गई है.

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शिटेक मशरूमतस्वीर: picture alliance/Arco Images GmbH

शिटेक मशरूमों में रेडियोएक्टिव प्रदूषण फैलने की पुष्टि होते ही कानागवा राज्य प्रशासन से निर्देशों की सूचि जारी कर दी. अधिकारियों ने मशरूम को बाजार में बेचने या निर्यात करने पर रोक लगा दी है. पूर्वी एशिया के कई देश जापानी किसानों से महंगे दामों में शिटेक मशरूम खरीदते हैं. इसमें काफी पोषक और औषधीय गुण होते हैं.

जांच में साफ हो चुका है कि कुछ नमूनों में काफी ज्यादा रेडियोएक्टिव सेजियम है. मानाजुरू से लिए गए मशरूमों में 141 बैक्वेरेल्स रेडियोएक्टिव सेजियम पाया गया. मुराता से लिए गए नमूनों में 350 बेक्वेरेल्स से ज्यादा रेडियोएक्टिव सेजियम पाया गया.

अभी तक यह पता नहीं चला है कि फुकुशिमा दायची के दुर्घटनाग्रस्त परमाणु संयंत्र से 300 किलोमीटर दूर सब्जियों में रेडियोएक्टिव प्रदूषण कैसे पहुंच गया. माना जा रहा है कि विस्थापितों के साथ विकिरण तत्व वहां गए. सूनामी और परमाणु संयंत्र की दुर्घटना के बाद संयंत्र के आस पास के कई गांव खाली कराए गए हैं.

Japan Atomkastastrophe Verstrahlte Nahrung
फसल में रेडियोएक्टिव विकिरणों से परेशान जापानतस्वीर: AP

इस बीच विस्थापितों और परमाणु ऊर्जा संयंत्र चलाने वाली कंपनी टेप्को के बीच मुआवजे को लेकर विवाद जारी है. पीड़ित टेप्को के खिलाफ नया मुकदमा दायर कर चुके है. सुसुमी यामासावा ने कहा, "हम लोगों ने अपने घर खो दिए हैं, जिंदगी खो दी है. हमारा छोटा लेकिन एक दूसरे में घुला मिला समाज टूट गया. बच्चे और युवा विकीरण खतरे की वजह से बहुत दूर चले गए." लोग धीरे धीरे सरकार से भी नाराज हो रहे हैं.

बीते महीने सामने आई आधिकारिक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि टेप्को को करीब 56.2 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ सकता है. ऐसा करने में जितनी देर होगी, मुआवजे की रकम बढ़ती जाएगी.

ओएसजे/एनआर (आईपीएस)

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