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बोझ नहीं बनना चाहते फुताबा के बुजुर्ग

११ मार्च २०१२

पिछले साल मार्च में जापानी शहर फुताबा में 6,500 लोग रहते थे. सुनामी और उसके बाद फुकुशिमा में परमाणु हादसे से फुकुशिमा के पास फुताबा में रह रहे लोगों को वहां से निकलना पड़ा. उनमें से कई अब भी राहत शिविरों में रह रहे हैं.

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तस्वीर: AP

फुकुशिमा के परमाणु रिएक्टरों का कुछ हिस्सा फुताबा में भी है. और फुताबा के जो हिस्से सुनामी में बहे नहीं, वहां रह रहे लोगों को परमाणु विकिरणों के कारण इलाका छोड़ना पड़ा. 1,500 लोगों को वहां से हटाकर टोक्यो के पास राहत शिविरों में रखा गया और अब केवल 500 लोग वहां रहते हैं. इनमें से एक महिला सुजुकी कहती हैं, "काफी मुश्किल हालात हैं, लेकिन हम फुताबा में पड़ोसी थे. अब हम एक साथ अलग अलग कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. हम अपने हाथों से चीजें बनाते हैं. हमारे पास काम भी है."

86 साल की सुजुकी टोक्यो के उत्तरी हिस्से में एक स्कूल की पुरानी इमारत में रहती हैं. सोने के लिए यहां टाटामी घास की चटाइयां हैं. हर व्यक्ति को एक छोटी सी जगह दी गई है. सुजुकी यहां अकेली हैं. उनकी बेटी अपने पति और बच्चे के साथ तोचीगी में रहती है. 12 मार्च को जब फुताबा को खाली कराया गया तो वहां रहने वालों को टोक्यो के काजो में राहत शिविरों में लाया गया. सुजुकी अपने परिवार के साथ रह सकती हैं, लेकिन कहती हैं कि वह किसी के लिए बोझ नहीं बनना चाहतीं. वह वापस फुताबा जरूर जाना चाहेंगी, लेकिन 30 साल उनके लिए कम पड़ सकते हैं.

Japan Erdbeben und Tsunami Fukushima Evakuierung von Einwohner
लोगों को हटाया गयातस्वीर: dapd

विशेषज्ञों का मानना है कि फुकुशिमा से रेडियोएक्टिव विकिरणों को खत्म होने में कम से कम 30 साल लगेंगे. और यह भी पक्का नहीं है. 86 साल की सुजुकी फुताबा में अपने घर जाकर वहां से जरूरी दस्तावेज लेकर तो आ गई हैं. लेकिन रोजमर्रे के खर्चे के लिए वह स्थानीय मदद पर निर्भर हैं. कहती हैं, "इतने महीनों बाद भी हमें लोग कपड़े, खाना और बाकी सामान लाकर देते हैं. मैं इसके लिए आभारी हूं." सुजुकी को इस उम्र में ब्लड प्रेशर की परेशानी भी है, लेकिन डॉक्टर यहां बिना पैसे लिए इनकी मदद करते हैं. राहत शिविर में काम कर रहे एक व्यक्ति का कहना है कि शुरुआत में तो सब कुछ काफी मुश्किल था और सब लोग बहुत ही दुखी थे. लेकिन अब राहत शिविर में रह रहे लोगों की हालत बेहतर है.

हर हफ्ते यहां एक वोलंटियर आता है और फुताबा के रहने वालों को एक्यूपंचर और एक्यूप्रेशर वाली मालिश देता है. इनके आने पर कमरों के बाहर बुजुर्गों की लंबी लाइन लग जाती है. जापान के ऊर्जा प्राधिकरण टेपको के साथ मुआवजे को लेकर झगड़ा या जापान की सरकार की नीतियां, इनसे यहां किसी का लेना देना नहीं है. जैसा कि सुजुकी कहती हैं, "हम अपनी जिंदगी जीना चाहते हैं, बिना बोझ बने."

रिपोर्टः पीटर कूयाथ/एमजी

संपादन: महेश झा

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