लीबिया के लोगों में लबालब गुस्सा
१९ फ़रवरी २०११ट्यूनीशिया और मिस्र से भड़के विद्रोह ने लीबिया को भी अपने आगोश में ले लिया. लेकिन कड़े सरकारी तंत्र और मीडिया पर नकेल की वजह से सुरक्षा बलों की कार्रावाई के बारे में ज्यादा बातें सामने नहीं आ पा रही हैं. अफ्रीकी देश लीबिया तेल का बड़ा उत्पादक है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बेनगाजी शहर के अस्पताल सूत्रों के हवाले से कहा है कि कम से कम 46 लोग मारे गए हैं. उसका दावा है कि विरोध प्रदर्शन करने वालों को सीधे सिर, छाती या गर्दन में गोली मारी गई है. हालांकि लीबिया सरकार ने अभी तक इस बात को नहीं माना है कि किसी की मौत हुई है.
एमनेस्टी का कहना है, “मरने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इस बात से चिंता है कि सुरक्षा बलों को निहत्थे लोगों को निशाना बनाने की इजाजत मिली हुई है.”
उसका कहना है कि लीबिया सरकार को मामले में दखल देना चाहिए और जो लोग ऐसे लोगों की मौत के जिम्मेदार हैं, उन्हें सज़ा मिलनी ही चाहिए. लीबिया के निजी समाचारपत्र कुरीना का कहना है कि बेनगाजी शहर में मारे गए 14 प्रदर्शनकारियों की जनाजे की नमाज में हजारों लोग शामिल होने आए. साथ ही कई लोग शहर की अदालत के सामने भी जमा हुए.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वह अरब राष्ट्र बहरीन, लीबिया और यमन में चल रही हिंसा को लेकर बेहद चिंतित हैं.
हालांकि लीबिया में राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहे हैं और ज्यादातर लोग बेनगाजी शहर में ही विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसी और शहर से ऐसी खबर नहीं आई है.
त्रिपोली में शांति
इससे पहले शुक्रवार सुबह मुअम्मर गद्दाफी राजधानी त्रिपोली के ग्रीन स्वायर में थोड़ी देर के लिए आए. उनके समर्थकों ने उनके पक्ष में नारे लगाए. लेकिन इस मौके पर गद्दाफी ने कुछ नहीं कहा. गद्दाफी 1969 से लीबिया के प्रमुख हैं.
चर्चा है कि लीबिया की संसद देश में कुछ बड़े बदलाव का इरादा कर रही है. इसके तहत सीनियर पदों पर कुछ नए लोगों को बिठाया जा सकता है.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः एन रंजन