अरब देशों में फैलती विद्रोह की लपट
१६ फ़रवरी २०११बहरीन की राजधानी मनामा में बुधवार को एक हजार से अधिक लोगों ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प में मारे गए फादेल मातरुक को भावभीनी विदाई दी. सोमवार को मारे गए एक किशोर की अंत्येष्टि के दौरान मंगलवार को मातरुक की मौत हो गई थी. बहरीन एक शियाबहुल देश है, जहां सुन्नी सुलतान का शासन है. लेकिन प्रदर्शनकारियों का नारा है कि वे न शिया हैं न सुन्नी हैं, वे बहरीन की खातिर, सुलतान को हटाने की खातिर प्रदर्शन कर रहे हैं. मनामा के केंद्रीय चौक पर हजारों प्रदर्शनकारी कई दिनों से डेरा डाले हुए हैं. अभी तक उनकी संख्या ट्यूनिशिया या मिस्र से कम है, लेकिन अब जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
इस बीच यमन से भी एक 23 वर्षीय प्रदर्शनकारी की मौत की खबर आई है. दक्षिण के गोदीनगर अदन में पुलिस के साथ झड़प में उसकी मौत हुई. इसके अलावा पांच लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर है. राजधानी सना में विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रदर्शन से दूर रखने के लिए पुलिस ने उन्हें घेर लिया है और हवाई फायर किए गए हैं.
लीबिया में अफ्रीकी व अरब देशों के सबसे लंबे समय तक कायम राष्ट्रप्रधान मुअम्मर अल गद्दाफी की गद्दी भी डोलती नजर आ रही है. गोदीनगर बेनगाजी में कल रात भर विपक्षी प्रदर्शनकारियों तथा पुलिस व सरकार समर्थकों के बीच जमकर झड़पें हुईं, जिनमें पथराव के अलावा पेट्रोल बम फेंके गए. बुधवार को दिन में स्थिति कुछ शांत थी, लेकिन तनाव बना हुआ है.
निरंकुश शासन को पलटने की मांग के साथ साथ इन प्रदर्शनों में आर्थिक मांगें लगातार जोर पकड़ती जा रही हैं. लोग खासकर बढ़ती कीमतों से परेशान हैं. ओमान में इस बीच सरकार ने देश में निजी क्षेत्र में न्यूनतम वेतन 364 रियाल से बढ़ाकर 520 रियाल कर दिया है.
कई शियाबहुल देशों में विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर ईरानी नेतृत्व इन्हें 1979 की इस्लामी क्रांति की परंपरा में देखने की कोशिश कर रहा है. लेकिन इस बीच मिस्र की जनता के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए वहां भी प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें दो लोगों की मौत हो चुकी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उ भट्टाचार्य
संपादन: वी कुमार