लीबिया संकट से चढ़ी कच्चे तेल की कीमतें
२३ फ़रवरी २०११लीबिया में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद तीन तेल कंपनियों का उत्पादन ठप्प हो गया है. ये तीनों कंपनियां दुनिया भर के तेल उत्पादन का 2 फीसदी यानी हर दिन 16 लाख बैरल तेल का उत्पादन करती हैं. अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत 98.08 डॉलर प्रति बैरल चली गई है जो अक्टूबर 2008 के बाद पहली बार इतनी ऊपर चढ़ी है.
सिडनी के कमोडिटी ब्रोकिंग सर्विसेज के प्रबंध निदेशक जोनाथन बराट ने तेल की चढ़ती कीमतों पर कहा,"अगर लीबिया से तेल की सप्लाई पूरी तरह बंद भी हो जाए तो भी तेल की कमी नहीं होगी लेकिन अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 100 डॉलर से ऊपर चली जाएगी.आशंका ये भी है कि ये संकट दूसरे अरब देशों तक भी पहुंच सकती है." मध्यपूर्व में लीबिया, बहरीन, यमन और ईरान में चल रहे राजनीतिक संकट ने तेल की सप्लाई पर असर पड़ने की आशंका पैदा कर दी है.
लीबिया अफ्रीका का सबसे बड़ा तेल भंडार है और इस महाद्वीप का चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश भी. लीबिया पेट्रोलियम उत्पादक देशों के संगठन, ओपेक का सदस्य भी है जिसके जिम्मे दुनिया भर के कच्चे तेल का 40 फीसदी हिस्सा है. लीबिया के शासक गद्दाफी ने विरोध प्रदर्शनों के आगे झुकने की बजाए जान देने की बात कही है. इस बीच सउदी सरकार के तेल मंत्री अली अल नइमी ने कहा है कि ओपेक कच्चे तेल की कमी नहीं होने देगा.
एशियाई शेयर बाजार भी इस संकट से जूझ रहे हैं क्योंकि निवेशक जोखिम वाले शेयरों को बेच कर अपना पैसा वापस निकाल रहे हैं. जापान का शेयर सूचकांक निक्केई 225 अंक यानी करीब 0.8 फीसदी नीचे चला गया है. जापान के बाहर एशिया प्रशांत क्षेत्र का सूचकांक एमएससीआई भी 0.5 फीसदी नीचे उतरा है. भारतीय शेयर बाजार का सूचकांक भी बुधवार को 45 अंक नीचे खुला. विदेशी फंडों ने भारत की ब्लूचिप कंपनियों में से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम