विजयघोष के साथ अन्ना ने तोड़ा अनशन
२८ अगस्त २०११रविवार सुबह दिल्ली के रामलीला मैदान में उत्सव का माहौल था. नारे लगाते लोग उमंग में ढोल की थापों और देशभक्ति के गीतों की धुन पर झूम रहे थे. पूरा आकाश वंदे मारतम् और अन्ना हजारे के समर्थन में लगे नारों से गूंज रहा था. पूरे 12 दिन की तपस्या के बाद खुशी का यह सूरज नसीब हुआ. दो छोटी बच्चियों के हाथ से नारियल पानी और शहद पी कर अन्ना हजारे ने अपना अनशन तोड़ा. आजाद भारत के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब एक 74 साल के साधारण से दिखने वाले इंसान ने अपनी इच्छाशक्ति और सत्याग्रह के बलबूते पूरे देश को आंदोलित करने में सफलता पाई है. रामलीला मैदान खुशी के नारों से ठीक वैसे ही झूम रहा है जैसा कभी रावण के मरने पर लंका की धरती खुश हुई थी.
लोगों की जीत
अनशन तोड़ने के बाद अन्ना ने कहा, "यह भारत के लोगों की जीत है. इस अभियान ने यह यकीन पैदा किया है कि हम लोग भ्रष्टाचार से मुक्त भारत बना पाने में कामयाब होंगे. देश के लिए यह गर्व की बात है कि इतना बड़ा आंदोलन 13 दिन चलता रहा और पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा.लोगों की संसद दिल्ली की संसद से बड़ी है."
अन्ना के इतना कहते ही एक बार फिर जोर से नारे बुलंद हुए. अनशन तोड़ने के बाद अन्ना को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है जहां उन्हें 2-3 दिन तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. 74 साल के अन्ना ने इस अनशन में 7.5 किलो वजन खोया है और उनके रक्तचाप में कमी आई है. दिल्ली के मशहूर डॉक्टर नरेश त्रेहन और उनकी टीम अन्ना के स्वास्थ्य पर निगरानी रख रही है.
लोगों का रेला रविवार सुबह से ही यहां बड़ी संख्या में जमा होने लगा था. लोग अन्ना को अनशन तोड़ते हुए देखने के लिए व्याकुल हो रहे थे. चार हजार लोग तो पूरी रात वहीं जमे रहे. गाजियाबाद के रहने वाले रमेश कुमार सुबह 5 बजे ही अपने घर से निकल पड़े. वह कहते हैं, "मैं चाहता था कि अन्ना जब अनशन तोड़ें तो मैं सामने मौजूद लोगों की पहली कतार में रहूं." अन्ना के समर्थन में लखनऊ से परिवार समेत दिल्ली आए विजय गुप्ता खुशी से झूम रहे हैं, कहते हैं, "मैं खुश हूं कि मैंने इतिहास को बनते देखा है. सरकार ने अन्ना की मांगें मान ली हैं और अब एक सख्त लोकपाल बिल पास होगा."
पूरा देश आंदोलित
अन्ना हजारे और उनके समर्थकों ने संसद में सरकार की तरफ से लाए लोकपाल बिल को खारिज कर दिया और उनसे सख्त कानून बनाने की मांग की. सरकार ने जब उनकी मांगों को अनदेखा किया तो उन्होंने 16 अगस्त से अनशन पर जाने का एलान कर दिया. पूरे 12 दिन तक बिना खाए पिए अन्ना रामलीला मैदान में हजारों समर्थकों के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान में बैठे रहे. इस दौरान पूरे देश में जगह जगह उनके समर्थन में धरने और प्रदर्शनों की बाढ़ आ गई. हर ओर लोग अन्ना के समर्थन में आने के लिए सड़कों पर निकल पड़े. देश के हर तबके ने उन्हें अपना समर्थन दिया. यहां तक कि अब तक के इतिहास में कभी भी हड़ताल पर न जाने वाले मुंबई के डिब्बावालों ने भी एक दिन के लिए काम बंद कर दिया.
बॉलीवुड से लेकर सड़क पर रेहड़ी लगाने वाले तक और आलीशान दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों से लेकर छात्रों तक देश के हर तबके ने अन्ना के समर्थन में नारा बुलंद किया है. लोग अपना रोजगार और कामकाज छोड़ कर अन्ना के आंदोलन को समर्थन देने के लिए दिल्ली पहुंचे. जो यहां नहीं पहुंच सका उसने अपने शहर की रैलियों में हिस्सा लिया. मीडिया के लिए तो यह एक महापर्व साबित हुआ है. 13 दिन तक देश के टीवी चैनलों ने लगातार अन्ना और उनके आंदोलन पर ही अपना ध्यान लगाए रखा और पल पल की घटनाओं से देश को वाकिफ कराते रहे. अन्ना की टोपी पूरे देश की एक राष्ट्रीय पहचान बन गई है और अब लोग इसी टोपी के सहारे देश भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के अभियान पर निकल पड़े हैं. लोगों को भरोसा है कि यह कारवां रुकेगा नहीं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार