शांति के लिए लंबा सफर
२० सितम्बर २०११24 साल के मोइन खान अपनी मोटर साइकिल पर सवार होकर महाद्वीपों के सफर पर निकले हैं. उनका मकसद अलग अलग संस्कृतियों के बीच समझ को बढ़ावा देना है. उन्होंने जुलाई में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर से अपनी यात्रा शुरू की थी अब वह जर्मनी में हैं. यहां से वह अपनी यात्रा का दूसरा दौर शुरू करने वाले हैं. दोनों महाद्वीप मोइन के घर जैसे हैं. मोइन का जन्म पाकिस्तान में हुआ और पांच साल पहले वह पढ़ाई करने कैलिफोर्निया आए. पढ़ाई के दिनों में उन्होंने अपने देश पाकिस्तान के बारे में होने वाले मीडिया कवरेज को बड़ी बारीकी से देखा.
पाकिस्तान के खिलाफ ज्यादातर खबरें नकारात्मक थीं. मोइन को पश्चिमी देशों में पाकिस्तान की छवि को लेकर चिंता होने लगी. उसी समय मोइन ने देखा कि पाकिस्तान में भी अमेरिका को ठीक तरह से खबरों में दर्शाया नहीं जा रहा था. तो उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर सहनशीलता और संस्कृति समझ को बढ़ावा देने का फैसला किया. मोइन ने लोगों से अपने विचार और अनुभव बांटने शुरू किए. मोइन कहते हैं, "मेरा विचार है कि दुनिया भर के लोगों को बताया जाए कि मुसलमान और पाकिस्तानियों का भी सकारात्मक पक्ष है. हम वह नहीं है जो मीडिया कहती है. हम शांति प्रिय लोग हैं."
शांति के नाम पर 40,000 किलोमीटर का सफर
मोइन जब घर लौटेंगे तो वह उन अनुभवों के बारे में बताएंगे. मोइन कहते हैं, "दुनिया को यह बताना चाहता हूं कि हर अमेरिकी जॉर्ज बुश नहीं है. वह मजेदार और खुले विचार के लोग हैं. दोनों ही तरफ ऐसा ही है." उनके इस विचार के कारण आज वह अमेरिका के वेस्ट कोस्ट से अपने घर की तरफ सफर कर रहे हैं. मोटरसाइकिल की मदद से मोइन का यह सफर सुहाना और निजी हो गया है.
सफर की तैयारी
मोइन को पता था कि उनका यह अभियान महंगा होगा. 2010 में अर्थशास्त्र की डिग्री लेने के बाद मोइन ने हफ्ते में 70 घंटे सॉफ्टवेयर कंपनी में काम किया और इसके साथ तैराकी भी लोगों को सिखाई. मोइन ने इस सफर के लिए प्रायोजकों की तलाश शुरू की. अपनी मोटरसाइकिल ठीक करवाई और एक वेबसाइट भी बनाई.
मोइन ने अपनी वेबसाइट का नाम DifferentAgenda.com रखा. इस वेबसाइट के जरिए लोग मोइन के अनुभवों के बारे में पढ़ सकते हैं. उनसे संपर्क बना सकते हैं और दान भी दे सकते हैं. इसके अलावा उनका एक फेसबुक पेज और ब्लॉग भी है. इसके जरिए मोइन अपने सफर के बारे में और उस दौरान होने वाले अनुभव बांटते हैं. मोइन ने अपनी यात्रा 10 जुलाई को सैन फ्रांसिस्को के गोल्डन ब्रिज से शुरू की. यह पुल एक प्रतीकात्मक बिंदु है क्योंकि यह अमेरिका का ऐतिहासिक स्थल है.
दो देशों का पुल
वह एक जगह से दूसरी जगह का सफर बिना किसी तैयारी के करते हैं. वह अगली मंजिल का चुनाव लोगों से मिलने के बाद करते हैं. नए लोगों से मिलना उनकी लिस्ट में सबसे ऊपर है. डॉयचे वेले से बातचीत के दौरान वह बताते हैं कि उनका सफर क्या है, "नए लोगों से मिलना और उन्हें चुनाव का मौका देना कि आगे मैं कहां जाऊं. यह सफर का सबसे अच्छा पहलू है. मैं इसके जरिए उन जगहों तक जा पाया हूं जिसे मैप पर देखा नहीं जा सकता है."
अमेरिका और कनाडा के कुछ इलाकों को पार करते हुए मोइन अपने सफर के 43वें दिन ब्रिटेन पहुंचे. ब्रिटेन पहुंचने के बाद उन्होंने थोड़ा आराम करने का फैसला किया. 13 सितंबर को वह जर्मनी के ब्रेमन पहुंचे. हालांकि उनकी यात्रा का अंत पाकिस्तान में होना है लेकिन उनको पता नहीं है कि वह कब पहुंचेंगे. मोइन को यह नहीं मालूम है कि वह अपना जन्मदिन जो कि 5 नवंबर को है पाकिस्तान में मना पाएंगे या नहीं. उनकी इस यात्रा में धन भी अड़चन बन रही है.
हौसला बरकरार
लेकिन इस वजह से उनका हौसला कम नहीं हुआ है. मोइन कहते हैं, "मुझे कहीं अपनी यात्रा रोककर किसी होटल या रेस्तरां में काम करना पड़ेगा ताकि मैं कुछ पैसे कमा सकूं. देखिए यह कैसे हो पाता है." चाहे वह किसी भी तारीख को अपने देश पाकिस्तान पहुंचे लेकिन यह सफर अपने आप में ही एक मंजिल है. अब तक किए गए सफर के बारे में मोइन सकारात्मक बातें बतातें है. कई लोग उनके इस मकसद का समर्थन करते हैं और आगे आने वाले रास्ते के बारे में कुछ टिप्स भी देते हैं. कुछ लोग उन्हें रात गुजारने के लिए कमरा भी देते हैं.
मोइन कहते हैं, "अब तक मिली प्रतिक्रिया बहुत अद्भुत है. मैंने सफर शुरू करने के पहले ऐसा नहीं सोचा था. लोग मुझे ईमेल करते हैं और कहते हैं वह भी कुछ ऐसा ही करना चाहते हैं. वह शांति और भाईचारे का संदेश फैलाना चाहते हैं." मोइन कहते हैं कि लोगों के ईमेल और प्यार के जरिए वह इस सफर पर अब तक कायम है.
रिपोर्ट: रेचल वाई बेग, साराह बर्निंग/आमिर अंसारी
संपादन: आभा एम