शातिर होते हैं मच्छर
२० सितम्बर २०१२मलेरिया मच्छरों के कारण होता है, इसमें तो कोई नई बात नहीं. मच्छरों से बचने के लिए हम घरों में मॉर्टिन और गुडनाइट जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, बच्चों को मच्छरों से बचाने वाले मरहम लगाते हैं और बिस्तर पर जाली डाल कर सोते हैं. लेकिन इस सब के बाद भी हमें मच्छरों से छुटकारा नहीं मिल पाता. ऐसा इसलिए क्योंकि जितना हम सोचते हैं मच्छर उस से कहीं ज्यादा शातिर होते हैं.
अफ्रीका के दो गांव में लोगों को मच्छरदानियां दी गईं. इनमें मच्छर मारने वाली दवा डली हुई थी. लेकिन इसके बाद भी मच्छर लोगों को पहले की ही तरह काटते रहे. ऐसा इसलिए क्योंकि मच्छरों ने अपना बर्ताव बदला. जहां पहले सुबह दो से तीन बजे के बीच सबसे ज्यादा मच्छर लोगों को काटा करते थे, वहीं देखा गया कि अब ऐसा सुबह पांच बजे के करीब होने लगा जब लोग मच्छरदानियां हटा लेते हैं. हालांकि मच्छरों में इस नई आदत के डलने में तीन साल का समय लगा.
एक गांव में तो घर के बाहर मच्छर के काटने से मलेरिया के मामलों में बढ़ोतरी देखी गयी. इस गांव में मच्छरों के कुल काटने के मामलों में 45 फीसदी घर से बाहर हुआ करते थे. एक साल बाद यह बढ़ कर 68 फीसदी हो गया. तीन सालों में इसमें थोड़ी सी कमी देखी गयी. अब मच्छर काटने के 61 फीसदी मामले बाहर पाए जाते हैं.
फ्रांस के वैज्ञानिकों ने अफ्रीका के गांव में यह शोध किया है. शोध करने वाली टीम के प्रमुख विन्सेंट कॉर्बेल इन नतीजों से चिंतित हैं, "गांव वाले अकसर सूरज उगने से पहले ही उठ जाते हैं ताकि खेतों में जा कर काम कर सकें और आम तौर पर उनके पास मच्छरदानी भी नहीं होती." कॉर्बेल का कहना है कि पिछले कुछ सालों में अफ्रीका के कई देशों में मलेरिया के मामले बढे हैं. जानकारों का मानना है कि मच्छरों में लगातार कीटनाशकों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जा रही है.
कॉर्बेल का कहना है कि अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि कम से कम अफ्रीका में मलेरिया फैलाने वाले मच्छर रात में काटते हैं. लेकिन ताजा नतीजे दिखाते हैं कि यह सोच गलत है. अगर मच्छर केवल रात ही में काटे तो लोगों को मच्छरदानियों की मदद से बचाया जा सकता है, लेकिन अगर वे दिन में और घर के बाहर भी काटें तो लोगों को मलेरिया से बचाना मुश्किल हो सकता है.
आईबी/एनआर (रॉयटर्स)