बच्चों के लिए बेहतर हुई दुनिया
१३ सितम्बर २०१२बच्चों की मौत से जुड़ा ये आंकड़ा वर्ल्ड बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ की संयुक्त रिपोर्ट में सामने आया है.रिपोर्ट के मुताबिक 2011 में पूरी दुनिया में पांच साल से कम उम्र के करीब 70 लाख बच्चे मौत के शिकार हुए जबकि 1990 में ये संख्या करीब दो करोड़ के आसपास थी. यानी स्थिति में काफी सुधार हुआ है. बावजूद इसके रिपोर्ट का कहना है कि 2011 में पूरी दुनिया में हर दिन 19000 बच्चों की मौत हुई. इनमें से 40 प्रतिशत की मौत तो पैदा होने के पहले महीने में ही हो जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों की मौत निमोनिया, डायरिया और मलेरिया की वजह से सबसे ज्यादा होती है.
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी अफ्रीका और पूर्वी एशिया के देशों ने बाल मृत्यु को नियंत्रित करने में ज्यादा सफलता हासिल की है जबकि दक्षिण एशियाई देशों का प्रदर्शन इस मामले में कमजोर है.रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीब देश जैसे बांग्लादेश, लाइबेरिया और रवांडा ने भी बाल मृत्यु दर को नियंत्रित करने के मामले में अच्छी प्रगति की है.
यूनिसेफ के कार्यकारी निर्देशक एंथनी लेक का कहना है, "बाल मृत्यु दर में गिरावट एक बड़ी सफलता है. ये इस बात को साबित करता है कि सरकार, परिवार और दानदाता एजेंसियों ने अच्छा काम किया है. लेकिन बहुत सारा काम अभी भी करना है. बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो बीमारियों की वजह से मर रहे हैं."
रिपोर्ट के मुताबिक कांगो, नाइजीरिया, भारत और पाकिस्तान की हालत तो और भी खराब है. इन देशों में न्यूमोनिया और डायरिया के कारण 30 फीसदी से ज्यादा बच्चों की मौत होती है. टीकाकरण की सुविधा और साफ पानी की उपलब्धता से इस पर बहुत कुछ नियंत्रण किया जा सकता है. ब्रिटेन स्थित सहायता संगठन वाटर एड की प्रमुख, बारबरा फ्रॉस्ट कहती हैं, "युनिसेफ की रिपोर्ट साफ सफाई और साफ पानी की जरूरत को सामने लाती है."
वीडी/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)