सचिन का दिल तोड़ा था: चैपल
४ फ़रवरी २०११इस बार का वर्ल्ड कप शुरू होने से ठीक पहले चैपल ने यह बात कही. तब वह भारत के कोच हुआ करते थे, अब ऑस्ट्रेलिया के चयनकर्ता हैं. चैपल की वजह से भारतीय क्रिकेट ने बेहद बुरे दिन देखे हैं. उनका कहना है कि अगर उनके सामने दोबारा ऐसा मौका आया, तो वह सचिन को कोई सलाह देने की जगह खुद उन्हें ही तय करने देंगे कि वह किस नंबर पर बल्लेबाजी करना चाहते हैं.
गौतम भट्टाचार्य की किताब सच में चैपल ने पूरे विवाद पर नजर डाली है और बताया है किस वजह से भारतीय क्रिकेट टीम से उनका रिश्ता बिगड़ गया. हालांकि उन्होंने दावा किया है कि इसके कुछ दिन बाद ही सचिन और उन्होंने मिल कर इस विवाद को खत्म कर दिया. किताब इस हफ्ते रिलीज होने वाली है.
इस किताब में चैपल का इंटरव्यू छपा है. उन्होंने कहा है, "सबसे पहले मुझे यह साफ करने दें कि मैंने कभी भी सचिन की काबिलियत पर शक नहीं किया है. सिर्फ एक ही बार मैंने उनसे बात की जब पिछला वर्ल्ड कप चल रहा था. अगर आप रिश्तों में कड़ुवाहट की बात करें तो उसी वक्त हुआ. बुनियादी तौर पर हम उनके बैटिंग ऑर्डर को लेकर बहस में पड़ गए."
ग्रेग चैपल को भारत का सबसे विवादित कोच समझा जाता है. उनके कार्यकाल में ही भारत के सफलतम कप्तान सौरव गांगुली के खराब दिन शुरू हुए और टीम से उनका अंदर बाहर होना शुरू हो गया. इसके बाद गांगुली का क्रिकेट करियर ही खत्म हो गया. इसी तरह भारत के अब तक के सबसे अच्छे गेंदबाज समझे जाने वाले इरफान पठान को ऑलराउंडर बनाने के चक्कर में चैपल ने उनसे पारी की शुरुआत करानी शुरू कर दी.
नतीजा यह निकला कि इरफान न बल्लेबाज बन पाए, न गेंदबाज रह पाए. श्रेष्ठ प्रतिभा होने के बाद भी उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और इस बार के वर्ल्ड कप में भी उन्हें जगह नहीं मिल पाई.
चैपल ने कहा कि पिछला वर्ल्ड कप वेस्ट इंडीज में खेला गया और वहां की परिस्थितियों को देखते हुए मध्य क्रम में एक हिटर बैट्समैन की जरूरत थी. टीम इंडिया के पास सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग में से किसी एक को चुनना था. सहवाग ने साफ तौर पर मध्य क्रम में बल्लेबाजी से मना कर दिया. इसके बाद सचिन तेंदुलकर से पूछा गया. सचिन ने विरोध स्वरूप ही सही, लेकिन बात मान ली. भारत उस वर्ल्ड कप में बुरी तरह फ्लॉप रहा और पहले दौर में ही बाहर हो गया.
हालांकि चैपल अपनी सफाई भी देते हैं, "सिर्फ मैंने अकेले ने यह फैसला नहीं किया. राहुल द्रविड़ भी इसमें शामिल थे. उनका भी मानना था कि बीच के ओवरों में मैच के नतीजे तय होंगे और उस वक्त सचिन या सहवाग जैसे किसी एक महान बल्लेबाज का क्रीज में होना बहुत बड़ा रोल अदा कर सकता है." चैपल का कहना है कि राहुल के साथ बातचीत में यही फैसला हुआ कि कोई तीसरा बल्लेबाज यह रोल नहीं निभा सकता है.
चैपल ने इसके बाद सचिन से बात की. वह तैयार हो गए लेकिन दुखी मन से. अगले दिन राहुल को इस फैसले की जानकारी दे दी गई. लेकिन सचिन चाहते थे कि उनके नैसर्गिक खेल के लिए उन्हें पारी शुरू करने दिया जाता. चैपल अब कह रहे हैं कि वह अपना सुझाव तो वही देते लेकिन फैसला सचिन को ही लेने देते.
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान का कहना है, "उस घटना से मैंने बहुत कुछ सीखा. आज अगर ऐसी स्थिति आएगी तो मैं अपनी बात रखूंगा और उसकी दलील दूंगा. लेकिन अगर वह किसी तरह से खुश नहीं होंगे तो मैं उन पर दबाव नहीं डालूंगा. मैं उन्हें ही फैसला करने दूंगा."
चार साल पहले इस घटना के बाद सचिन तेंदुलकर ने एक बेहद भावुक इंटरव्यू में लगभग रुंआसे होते हुए कहा था कि भारतीय कोच ग्रेग चैपल ने टीम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े किए हैं. पूरे भारत में इसके बाद चैपल के खिलाफ रोष जताया गया. हालांकि चैपल ने बाद में किसी तरह इस मामले को रफा दफा कर दिया.
चैपल का कहना है, "सचिन के साथ बाद में आमने सामने बात हुई. हमने टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर पर चर्चा की. हमने बात की और कहा कि हमें अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहिए. मेरा उनके साथ सिर्फ यही एक झगड़ा हुआ जो बाद में सुलझा लिया गया."
भारत के सबसे विवादित कोच रहे चैपल का कहना है कि वह तेंदुलकर के कायल हैं क्योंकि वह एक अरब जनता की अपेक्षाओं के बावजूद बेहतरीन क्रिकेट खेलते हैं. उन्होंने कहा, "भारत का कोच रहते हुए मैंने देखा कि किस तरह लोगों का ध्यान हर मिनट उनकी तरफ रहता है कि वह कहां गए. आम तौर पर इतना ज्यादा ध्यान रहने पर कोई भी खीज सकता है लेकिन तेंदुलकर इस मुद्दे से बहुत अच्छी तरह से निपटते हैं."
उन्होंने कहा, "कोई भी क्रिकेटर उनसे ज्यादा क्रिकेट के प्रति समर्पित नहीं है. क्रिकेट उनकी जिन्दगी में इस कदर रच बस गया है कि कई बार आप सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि जब वह क्रिकेट नहीं खेलेंगे तो क्या करेंगे."
चैपल ने सफाई दी कि उन्होंने 2007 वर्ल्ड कप से पहले ही भारत के कोच पद से हटने का मन बना लिया था क्योंकि बीसीसीआई से उनका तकरार हो रहा था. उन्होंने कहा, "इस तरह सचिन के बयान की वजह से मुझे कोच पद नहीं छोड़ना पड़ा, जैसा कि कुछ जगहों पर रिपोर्ट छपी थी. हम दोनों ने मामले को सुलझा लिया था."
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः एस गौड़