'सबसे बड़ी महाशक्ति बन रहा है चीन'
१५ जुलाई २०११भारत, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्राजील, ब्रिटेन, रूस, जापान, पाकिस्तान, मेक्सिको और तुर्की समेत 22 देशों के लोगों से जब यह पूछा गया कि क्या चीन अमेरिका से बड़ी वैश्विक ताकत बनता जा रहा है, तो जवाब मिला, हां. खुद 46 फीसदी अमेरिकियों ने माना कि उनका देश ताकतवर होते चीन से पिछ़ड़ने जा रहा है. दो साल पहले ऐसा मानने वाले अमेरिकियों की संख्या 36 फीसदी थी.
अन्य 15 देशों के लोगों ने माना कि चीन अमेरिका को पीछे करने ही वाला है. मार्च से मई के बीच यह सर्वे अमेरिकी संस्थान पेव ग्लोबल एटीट्यूड्स प्रोजेक्ट ने कराया. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 27,000 हजार लोगों चीन को नई वैश्विक ताकत बताया.
यूरोप की राय
जर्मनी, स्पेन, ब्रिटेन और फ्रांस की आधी जनता तो अभी से मान चुकी है कि चीन ने आर्थिक रूप से अमेरिका को पटखनी दे दी है. यहां हर तीन में से दो लोगों का लगता है कि चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. अन्य देश भी मान रहे हैं कि 2020 तक चीन नंबर वन हो जाएगा.
पेव रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष और सर्वे के डायरेक्टर एंड्र्यू कोहट कहते हैं, ''अमेरिका की छवि के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. अमेरिका का वर्चस्व खत्म हो रहा है, बीते एक दशक में अमेरिका की ताकत पर चिंताएं जताई जाने लगी है.''
बुरा असर होगा
सर्वे के मुताबिक ज्यादातर लोग मानते हैं कि अमेरिका का वर्चस्व खत्म होने से दुनिया पर बुरा असर पड़ेगा. लोग अमेरिका को अब भी चीन की तुलना में ज्यादा पंसद करते हैं. सर्वे में अमेरिका को 60 फीसदी लोगों ने पसंद किया. चीन को आठ अंक नीचे रखा गया है. भारत तो चीन के आगे कहीं ठहरता हुआ ही नहीं दिख रहा है.
अधिकतर लोगों ने माना कि चीन सैन्य शक्ति के मामले में भी अमेरिका की बराबरी करने जा रहा है. ज्यादातर लोग बीजिंग की बढ़ती सैन्य ताकत से असहज महसूस कर रहे हैं.
हालांकि चीन, रूस और कुछ मुस्लिम देश अमेरिकी प्रभाव के कमजोर होने से खुश हैं. तुर्की, जॉर्डन, पाकिस्तान, ईरान और केन्या में वॉशिंगटन की छवि खराब हुई है.
सर्वे में अन्य देशों को लेकर भी कुछ दिलचस्प बातें सामने आई हैं. बीते पांच सालों में भारत के लोगों में पाकिस्तान के प्रति नाराजगी काफी बढ़ चुकी है. तालिबान और अल कायदा की वजह से 75 फीसदी भारतीय अपने पड़ोसी से नाराज हैं.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: आभा एम