सरकार भ्रष्टाचार से लड़ना नहीं चाहती: रामदेव
२७ जून २०११काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन तोड़ने के बाद चुप्पी तोड़ते हुए बाबा रामदेव ने सरकार को चुनौती दी कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. योग गुरू का कहना है कि जो कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार या काले धन के खिलाफ आवाज उठा रहा है, सरकार उसकी आवाज को कुचलना चाहती है. रामलीला मैदान में पुलिस की कार्रवाई को उन्होंने लोकतंत्र की हत्या करार दिया. रामदेव ने कहा कि इस कार्रवाई के जरिए उनकी हत्या की कोशिश की गई और शराब के नशे में धुत पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के साथ बलात्कार करने की कोशिश की.
रामदेव का कहना है कि पुलिस लोगों को मैदान से हटाना और उन्हें मिटाना चाहती थी. उन्होंने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में उनका अगला कदम क्या होगा. उनका कहना है कि जल्द ही मुफ्त आवास शिविर योजना और गांवों को सक्षम बनाने की योजना पर काम शुरू किया जाएगा.
बाबा रामदेव ने कहा कि वह किसी एक का मुखौटा नहीं बल्कि 120 करोड़ भारतीयों का मुखौटा हैं.
"मैं भारत माता का बेटा हूं. हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में किसी का भी साथ देंगे. इस बात से कोई मतलब नहीं कि बिल्ली गोरी है या काली. बस चूहे पकड़ने वाली होनी चाहिए." लोकपाल बिल पर उन्होंने सरकार से पूछा कि किस आधार पर प्रधानमंत्री और सांसदों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा जा रहा है जबकि ट्रस्ट और एनजीओ को इसके दायरे में लाया जा रहा है.
रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई में घायल महिला राजबाला से मुलाकात के बाद मीडिया को उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वह किसी भी पार्टी और किसी भी धर्म का साथ देने के लिए तैयार हैं. हालांकि 16 अगस्त को अन्ना हजारे के अनशन का हिस्सा बनने पर पूछे गए सवाल का उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
कांग्रेस ने बाबा को बीजेपी और आरएसएस का मुखौटा बताया है लेकिन रामदेव ने सरकार से पूछा कि अगर ऐसा है तो वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में चार मंत्री उनसे मिलने के लिए एयरपोर्ट पर क्यों आए. "अगर मैं सांप्रदायिक, आतंकवादी, नक्सलवादी हूं तो फिर मंत्री मुझसे क्यों मिले. सरकार लोकपाल नहीं बनाना चाहती. सरकार पहले भ्रष्टाचारी थी और अब अत्याचारी भी हो गई है." रामदेव ने कहा कि अगर उनके पास काला धन है तो वह सरकार को चुनौती देते हैं कि उसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दिया जाए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह