सवा लाख भारतीय सालाना सड़क हादसों के शिकार
६ दिसम्बर २०१०भारत में कुल 10 करोड़ गाड़ियां चलती हैं और इनसे हुए हादसों में हर साल सवा लाख लोगों की जान जाती है. अमेरिका में 30 करोड़ गाड़ियां हैं लेकिन सड़क हादसों में वहां मरने वाले लोगों की तादाद सिर्फ 50 हजार है. यानी भारत से तीन गुनी ज्यादा गाड़ियों के चलने के बावजूद हादसों की शिकार लोगों की संख्या एक तिहाई से थोड़ी ज्यादा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ये रिपोर्ट बताती है कि विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में सड़क हादसे में मरने वालो लोगों की तादाद काफी ज्यादा है. सड़क हादसों में मरने वाले लोगों में 91 फीसदी दुनिया के गरीब मुल्कों के लोग हैं. इन देशों में चलने वाली गाड़ियों की संख्या की दुनिया भर की गाड़ियों की 48 फीसदी है. दुनिया के 10 देश ऐसे हैं जहां कुल सड़क हादसों में मरने वाले लोगों में से 62 फीसदी इन्हीं देशों के होते हैं. ये देश हैं भारत, चीन, अमेरिका, रूस, ब्राजील, ईरान, मेक्सिको,इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र.
इस रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण भारतीय राज्य केरल में हर साल 2000 लोगों की जान जाती है जबकि 50 हजार लोग जख्मी होते हैं. सड़क हादसे का शिकार होने वाले लोगों में 45 साल से कम उम्र वाले लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है. सबसे ज्यादा मौतों की वजह दोपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाएं हैं. इसके बाद जीप आर कार की बारी आती है. 41 फीसदी से ज्यादा हादसे नेशनल हाइवे पर होते है. हाइवे पर चलने वाली गाड़ियों की तादाद शहरों की तुलना में केवल 40 फीसदी है.
बीते सालों में सड़कों की स्थिती में काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी भी दुनिया के बाकी देशों की तुलना में इनकी स्थिती काफी खराब है. ज्यादातर इलाकों में पैदल यात्रियों के लिए अलग लेन का ना होना दुर्घटना की एक बड़ी वजह है. इसके अलावा लोगों का लापरवाही से गाड़ी चलाना और बिना औपचारिक ट्रेनिंग के उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस का मिलना भी हादसों के कारण हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम