सुरजीत सिंह आजाद, वाघा में हुआ स्वागत
२८ जून २०१२अपने परिवार से मिलने के बाद सुरजीत ने कहा, "मैं 30 साल बाद अपने बच्चों से अपने देश में मिल रहा हूं. यही खुशी है." वाघा पर भारतीय अधिकारियों ने सुरजीत सिंह का स्वागत किया. सुरजीत को लाहौर के कोट लखपतराय जेल से रिहा किया गया और उन्होंने कहा कि जेल में उन्हें सही तरह से रखा गया. जेल से निकलने से पहले सुरजीत वहां कई कैदियों से मिले और अधिकारियों से कैदियों में सेवइयां भी बांटने को कहा.
पाकिस्तान पुलिस सुरजीत को वाघा सरहद तक लाई जहां उसे भारतीय अधिकारियों के सुपूर्द किया गया. 1980 के दशक में सुरजीत को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान के पूर्वी सरहद पर गिरफ्तार किया गया था. आरोपों की जांच के बाद उन्हें मौत की सजा सुना दी गई थी. सिंह के वकील अवैस शेख ने बुधवार को मीडिया को बताया कि पाकिस्तानी पुलिस ने जनरल जिया उल हक की तानाशाही के दौरान सुरजीत को पकड़ा था. 1985 के पाकिस्तान आर्मी एक्ट के मुताबिक उन्हें मौत की सजा सुनाई गई लेकिन 1989 में राष्ट्रपति गुलाम इसहाक खान ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया.
पाकिस्तानी मीडिया ने हाल ही में रिपोर्ट किया था कि उनके अधिकारी सरबजीत सिंह नाम के एक कैदी को रिहा कर रहे हैं. सरबजीत को पाकिस्तान में हुए एक सिलसिलेवार बम हमले का दोषी ठहराया गया है और मौत की सजा सुनाई गई है. पिछले दो दशकों से वह पाकिस्तान में कैद है. सरबजीत का परिवार कई सालों से उनकी आजादी के लिए लड़ रहा है. उनका कहना है कि सरबजीत एक किसान है और गलती से सरहद के पार पाकिस्तान में चला गया था.
इस बीच भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तानी अधिकारियों से अपील की है कि वे सरबजीत सिंह सहित उन सारे कैदियों को रिहा कर दें जिन्होंने अपनी सजा काट ली है. पिछले महीने भारत ने एक 80 साल के पाकिस्तानी डॉक्टर को रिहा किया था. उन्हें कत्ल के आरोप पर आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. 2011 में भारत ने गोपाल दास नाम के एक पाकिस्तानी नागरिक को रिहा किया था. इस मामले में खुद पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हस्तक्षेप किया था हालांकि रिहा होने के बाद दास ने बताया कि वह पाकिस्तान में भारत का जासूस था और भारत ने उसे धोखा दिया है.
एमजी/(डीपीए, पीटीआई)