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सूर्य को मिली रेडियो से रोशनी

१७ मई २०११

कुदरत ने हमें पांच इन्द्रियां दी हैं - हर किसी का एक विशेष मकसद है. यदि इन में से कोई एक भी हम से छिन जाए तो जिंदगी बहुत ही मुश्किल हो जाती है. लेकिन कुछ लोग हर मुश्किल का सामना करने का साहस रखते हैं.

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Titel: Nepal Blind Schlagworte: Nepal, blind, RJ, Surya Bahadur Parihar Wer hat das Bild gemacht/Fotograf?: Isha Bhatia Wann wurde das Bild gemacht?: 23.03.11 Wo wurde das Bild aufgenommen?: Pokhara, Nepal Bildbeschreibung: Bei welcher Gelegenheit / in welcher Situation wurde das Bild aufgenommen? Wer oder was ist auf dem Bild zu sehen? Surya Bahadur Parihar ist blind und Radiomoderator in Nepal. Er lernt Englisch und Computer an einem Institut in Pokhara, Nepal
सूर्य बहादुर परिहरतस्वीर: DW

ऐसे ही एक साहसी व्यक्ति हैं नेपाल के 22 वर्षीय सूर्य बहादुर परिहर. बचपन में सूर्य की आंखों की रोशनी चली गई, ना परिवार ने साथ दिया, ना समाज ने. लेकिन सूर्य ने अपनी मेहनत और काबिलियत से सबको साबित कर दिया कि वो किसी से कम नहीं.

दृष्टिहीन और नौकरी

सूर्य एक कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में कंप्यूटर सीखने जाते हैं. नेत्रहीनों के लिए चलाया जाने वाला यह इंस्टिट्यूट नेपाल के छोटे से शहर पोखरा में है. हिमालय की वादियों में बसा यह शहर इतना खूबसूरत है कि इसकी खूबसूरती आपको धोखा दे देती है और यह पता ही नहीं लगने देती कि पिछले कई सालों से कभी यह माओवादियों से चोट खा रही है तो कभी सेना से. बिलकुल उसी तरह जब मुस्कुराते हुए खुशदिल सूर्य से मिल कर जरा भी अंदाजा नहीं लगा जा सकता कि उसने अपनी छोटी सी जिंदगी में कितनी सारी मुश्किलें झेली हैं.

सूर्य नेत्रहीन जरूर है, लेकिन किसी पर निर्भर नहीं. नेपाल के एक रेडियो चैनल में वह आरजे यानी रेडियो जोकी का काम करते हैं. नौकरी मिलना कोई आसान बात नहीं थी. सूर्य बताते हैं, "शारीरिक तौर पर अक्षम व्यक्ति के लिए नौकरी ढूंढना हमेशा ही मुश्किल होता है. स्कूल का प्रिंसिपल या रेडियो का मालिक इस मुद्दे पर लम्बे लम्बे भाषण तो दे सकता है, लेकिन वास्तविकता इस से बहुत अलग है. फिजिकली चैलेंज्ड व्यक्ति को नौकरी देते हुए वह खुद भी अचरज में पड़ जाते हैं. मेरे साथ भी कुछ अलग नहीं हुआ. रेडियो में लोगों को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था कि एक दृष्टिहीन व्यक्ति हमारे साथ काम कर सकता है."

Titel: Nepal Blind Schlagworte: Nepal, blind, RJ, Surya Bahadur Parihar Wer hat das Bild gemacht/Fotograf?: Isha Bhatia Wann wurde das Bild gemacht?: 23.03.11 Wo wurde das Bild aufgenommen?: Pokhara, Nepal Bildbeschreibung: Bei welcher Gelegenheit / in welcher Situation wurde das Bild aufgenommen? Wer oder was ist auf dem Bild zu sehen? Surya Bahadur Parihar ist blind und Radiomoderator in Nepal. Er lernt Englisch und Computer an einem Institut in Pokhara, Nepal
कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में सूर्यतस्वीर: DW

अंग्रेजी और कंप्यूटर जरूरी

रेडियो के स्टूडियो में तकनीक का इतना ध्यान रखना पड़ता है कि कोई आम इंसान भी चकरा जाता है. लेकिन सूर्य बताते है कि टेक्नीशियन के अच्छे बर्ताव के कारण उन्हें कभी किसी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता, "टेक्नीशियन मेरे पास ही बैठता है. मैं अपनी घड़ी से समय का पता लगाता रहता हूं. और जब गाना चल रहा होता है तो टेक्नीशियन मुझे सब समझा देता है. इसके अलावा कई बार वो मेरे हाथ पर अपनी उंगली रखता है जिस से मुझे पता चल जाता है कि मेरे पास अभी कितने मिनट और हैं."

नेपाल में सूर्य जैसे लोग कम ही हैं. उसके रेडियो स्टेशन में वो एकमात्र नेत्रहीन है. और वह इस बात को अच्छी तरह समझते है कि यह एक बड़ी उपलब्धि है. पर वह और बेहतर बनना चाहते हैं. इसीलिए वे कंप्यूटर और अंग्रेजी भी सीख रहे हैं, "अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है, जो मुझे लगता है कि मुझे आनी चाहिए. और मैं एक आरजे हूं, इसलिए मुझे तकनीक का इस्तेमाल भी अच्छी तरह करना आना चाहिए. अगर मैं कंप्यूटर का ठीक तरह से इस्तेमाल करना सीख लूं तो मैं अपनी चीजें खुद एडिट कर पाउंगा. और क्या पता आगे चल कर मैं कभी एडिटर ही बन जाऊं. वैसे भी आज कल नौकरी के लिए ये दोनों चीजें तो आप को आनी ही चाहिए."

हादसे में खोई रोशनी

सूर्य एक बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए. उनके पिता दिहाड़ी पर काम करते थे. अगर काम मिल गया तो चूल्हा जलता, अगर नहीं, तो भूखे पेट ही सोना पड़ता. ऐसे बुरे हालत में कुदरत ने और मार दी. सूर्य जब पैदा हुए टब वह उनकी आंखें ठीक थीं. बचपन में हुए एक हादसे में उसकी आंखों की रोशनी चली गई, "मेरा घर पहाड़ों में है. मैं दो साल का था जब एक दिन जोर से बिजली कड़की. मैं अपनी मां की गोद में था. बिजली के कड़कने के कारण मेरी मां की वहीं जान चली गई और मेरी आंखें भी."

मां के गुजरने के बाद जीना दूभर हो गया. अंधविश्वास के कारण परिवार को लगने लगा कि सूर्य में ही कोई बुराई है जिससे उनकी मां की मौत हो गई. सूर्य के इलाज का या नेत्रहीनों के स्कूल में उसे भेजने का खयाल उन्हें कभी नहीं आया, "आस पड़ोस वाले मेरे खिलाफ थे. वह मेरे घर वालों को कहते थे कि बेहतर होता अगर मां की जगह मेरी जान चली जाती. मेरे पिता को भी लगने लगा कि अगर मैं घर छोड़ कर चला जाऊं तो घर पर आई मुसीबतें टल जाएंगी. वह मुझे अपने साथ नहीं रखना चाहते थे. उन्हें लगता था कि यह मेरे पिछले जन्म के बुरे कर्मों का नतीजा है कि मैं अंधा हो गया हूं. मेरे भाई बहनों को भी लगता था कि मैं अपशगुनी हूं और घर के लिए बुरी किस्मत लिखवा कर लाया हूं."

Titel: Nepal Blind Schlagworte: Nepal, blind, RJ, Surya Bahadur Parihar Wer hat das Bild gemacht/Fotograf?: Isha Bhatia Wann wurde das Bild gemacht?: 23.03.11 Wo wurde das Bild aufgenommen?: Pokhara, Nepal Bildbeschreibung: Bei welcher Gelegenheit / in welcher Situation wurde das Bild aufgenommen? Wer oder was ist auf dem Bild zu sehen? Surya Bahadur Parihar ist blind und Radiomoderator in Nepal. Er lernt Englisch und Computer an einem Institut in Pokhara, Nepal
सूर्य बहादुर परिहर के साथ एक साथी और टीचर खोम राज शर्मातस्वीर: DW

सैलानियों ने की मदद

नेपाल घूमने आए कुछ लोगों की नजर सूर्य पर पड़ी. उन्होंने उसकी मदद के लिए पैसे इकट्ठे किए और उनका दाखिला स्कूल में करा दिया. बाद में उनकी फीस भी माफ कर दी गई, लेकिन साधारण बच्चों के बीच में पढ़ना भी सूर्य के लिए मुश्किलों भरा था, "मुझे वहां कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मुझे ब्लैकबोर्ड दिखता नहीं था और टीचर बताते नहीं थे कि क्या लिखा है. बच्चे भी बताने से इनकार कर देते थे. और अगर कभी मैं किसी से मदद मांग लेता तो जवाब मिलता था कि हमने तुम्हारा ठेका नहीं लिया हुआ."

सभी मुसीबतों के बाद भी सूर्य ने किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी की. और लोगों को भी उनकी तरह मुसीबतों का सामना ना करना पड़े, इसलिए वह नेत्रहीनता को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं. रोज अपने रेडियो प्रोग्राम के जरिए वह लोगों को समझाते हैं कि नेत्रहीनता कोई अभिशाप नहीं है. साथ ही जिस इंस्टिट्यूट में वह कंप्यूटर सीखने जाते है, वहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेत्रहीनों के लिए कार्यक्रम आयोजित करने में भी अपना योगदान देते है.

आखिरकार सम्मान

कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आज सूर्य का परिवार और समाज सभी उन से खुश हैं, "आज की तारीख में मेरा पूरा परिवार मुझ पर निर्भर करता है. मैं देख नहीं सकता, लेकिन दो वक्त की रोटी मैं ही कमाता हूं. अब मेरे परिवार वाले मुझ पर नाज करते हैं. और वे लोग जो कहते थे कि अच्छा होता अगर मैं पैदा होते ही मर जाता, आज वे भी मुझसे बहुत प्यार करते हैं. हर कोई मुझे इज्जत देता है."

सूर्य जैसे लोगों से हर कोई सीख ले सकता है.उनकी मुस्कराहट सभी से यही कहती है कि जिंदगी जिंदादिली का नाम है. आप के रस्ते में लाख मुश्किलें आएं, बस अगर आप ठान लें, तो कोई आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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