1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सेंसर बोर्ड पर भरोसा करें: प्रकाश झा

१५ जुलाई २०११

प्रकाश झा उन चुनिंदा निर्देशकों में हैं, जिनकी फिल्में फिल्में सोचने पर मजबूर करती हैं. सामाजिक मुद्दों पर बनी उनकी फिल्मों से नई बहस छिड़ती है. झा की नई फिल्म आरक्षण 12 अगस्त को रिलीज हो रही है. उनसे बातचीत के कुछ अंश:

https://p.dw.com/p/11vpE
मुद्दों पर फिल्म बनाते हैं झातस्वीर: AP

आरक्षण पर फिल्म बनाने का विचार आपको कब आया?

बहुत लंबे समय से मैं इस पर फिल्म बनाने की सोच रहा था. लेकिन ऐसी कहानी नहीं मिल रही थी, जिसके सहारे मैं यह मुद्दा स्क्रीन पर पेश कर सकूं. लगभग चार साल पहले एक प्रिंसिपल और छात्र की कहानी पढ़ी, जिसमें प्रिंसिपल एक छात्र की मदद करता है. उसी वक्त मुझे लगा कि यह कहानी आरक्षण की पृष्ठभूमि के लिए सही है.

क्या आपको कभी यह नहीं लगा कि यह संवेदनशील मुद्दा है और इस पर महंगी फिल्म बनाना सही नहीं होगा?

मैं एक फिल्मकार हूं. जो सही है, यथार्थ है उसे मैं पेश करने की कोशिश करता हूं.

मेरा मतलब फिल्म के विरोध को लेकर है. कई संगठनों ने आपत्ति की है. कुछ लोगों ने फिल्म के रिलीज होने के पहले फिल्म देखने की इच्छा जाहिर की है?

लोगों को अब समझदारी दिखाना चाहिए. हमारे देश में सेंसर बोर्ड है और उसे फैसले लेने का पूरा अधिकार है कि यह फिल्म प्रदर्शन के लिए उचित है या नहीं. सेंसर चाहे तो अपने पैनल में उन लोगों को शामिल कर सकता है जिन्हें इस फिल्म पर आपत्ति है.

क्या आपने फिल्म के जरिये समस्या का कोई हल बताया है?

मैंने मामले को जस का तस पेश करने की कोशिश की है.

आपकी शुरुआती फिल्मों में स्टार नहीं होते थे, लेकिन इन दिनों आप स्टार्स के साथ काम कर रहे हैं. इसकी वजह?

स्टार्स के साथ काम करने की वजह यह है कि इससे मेरी बात ज्यादा लोगों तक पहुंचती है.

भोपाल में ऐसी क्या खास बात है कि लगातार दूसरी फिल्म की शूटिंग आपने यहां की?

भोपाल में सुविधा अच्छी है. लोग अच्छे हैं. मुंबई से यह सीधे जुड़ा हुआ है.

आरक्षण के बाद क्या आप कैटरीना कैफ को लेकर सत्संग बनाएंगे?

यह फिल्म मैंने अभी तक घोषित नहीं की है. लेकिन इतना जरूर है कि यह फिल्म मैं बनाऊंगा.

इंटरव्यूः समय ताम्रकर, वेबदुनिया

संपादनः ए जमाल

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी