स्कूलों में जर्मन को अनिवार्य करने की मांग
१४ अक्टूबर २०१०जर्मन सरकार में विदेशियों को समेकन के लिए प्रभारी मंत्री मारिया बोएमर जर्मन को स्कूलों में अनिवार्य भाषा का दर्जा दिए जाने के पक्ष में है. उन्होंने कहा, "एक साल पहले इस बहस पर हंगामा मच गया होता, आज यह जानकारी स्वीकृत है कि जर्मन को स्कूल की अनिवार्य भाषा होना चाहिए." सत्ताधारी सीडीयू की राजनीतिज्ञ ने कहा कि केंद्र सरकार विदेशियों के लिए अनिवार्य जर्मन शिक्षा में भी सख्ती चाहती है. अधिकारी भविष्य में नतीजों की जांच कर पाएंगे.
गठबंधन सरकार में शामिल लिबरल फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के महासचिव क्रिश्टियान लिंडनर स्कूल के अहाते में भी जर्मन को अनिवार्य भाषा बनाना चाहते हैं, लेकिन शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के संयुक्त फैसले के रूप में. उनका कहना है, "कुछ स्कूलों में जर्मन छात्र इस बीच अल्पसंख्यक हैं." कुछ स्कूलों में शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों ने मिलजुल कर जर्मन को अनिवार्य बनाने का फैसला लिया है, लिंडनर ने कहा, "यह दूसरों के लिए अच्छा उदाहरण है."
इसके विपरीत विपक्षी ग्रीन पार्टी ने लिंडनर की आलोचना की है. पार्टी के विदेशी समेकन प्रवक्ता मेहमत किलिच ने कहा, इस मांग की मूर्खता दो भाषाओं वाले यूरो स्कूल के उदाहरण से भी साफ होती है.
जर्मनी में विदेशियों के समेकन पर चल रही बहस के बीच विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की निकटस्थ फ्रीडरिष एबर्ट फाउंडेशन के एक अध्ययन के अनुसार हर तीसरे जर्मन को अपना देश "विदेशियों से भरा" लगता है, जबकि हर दसवां तानाशाही को सरकार का बेहतर तरीका मानता है.
इस अध्ययन के लिए एल्मार ब्रेलर और ओलिवर डेकर ने 14 से 90 साल की उम्र के चुनिंदा 2400 लोगों से पूछताछ की. उन्होंने अध्ययन के परिणामों को नाटकीय मोड़ बताया. 30 फीसदी का मानना है कि जर्मनी में बहुत ज्यादा विदेशी हैं, जिन्हें रोजगार कम होने पर "अपने देश वापस" भेज दिया जाना चाहिए. शोधकर्ताओं का कहना है कि उग्र दक्षिणपंथी विचार आबादी के हर वर्ग में पाया गया है. उन्होंने आर्थिक संकट की वजह से मध्यम वर्ग में गरीबी में गिरने के भय को इसका कारण बताया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार