हक्कानी को अमेरिका ने आतंकवादी गुट माना
८ सितम्बर २०१२अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने अपनी रूस यात्रा के दौरान इस फैसले का एलान किया. हक्कानी नेटवर्क को आतंकवादी बताना अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की राह में बाधा तो डाल ही सकता है साथ ही पाकिस्तान अमेरिका के रिश्तों में आए तनाव का असर सीधे अफगानिस्तान पर दिखेगा. पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हक्कानी नेटवर्क को प्रतिबंधित करने से इस्लामाबाद पर दबाव बढ़ेगा. अमेरिका का मानना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हक्कानी नेटवर्क का अफगानिस्तान में सहयोग कर रहा है. हालांकि वॉशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा कि हक्कानी पाकिस्तानी नागरिक नहीं हैं और यह अमेरिका का निजी मामला है. अफगान सरकार ने भी इस कदम का स्वागत किया है.
उधर अफगानिस्तान में वरिष्ठ हक्कानी नेताओं का कहना है कि इससे पता चलता है कि अमेरिका अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को लेकर गंभीर नहीं है. हक्कानी नेटवर्क के एक कमांडर ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, "एक तरफ तो वह कह रहे हैं कि अफगान मुद्दे के लिए राजनीतिक हल ढूंढना पड़ेगा और दूसरी तरफ वे हमें आतंकवादी करार दे रहे हैं. तो अफगानिस्तान में शांति कैसे आएगी?" हक्कानी दक्षिण पूर्वी अफगानिस्तान में एक कबायली गुट हैं. यह अफगानिस्तान के सबसे अनुभवी लड़ाकों में गिने जाते हैं लेकिन इन्हें कई हमलों के लिए जिम्मेदार माना गया है. इस साल अप्रैल में काबुल की संसद और एक दूतावास पर हमला हुआ था जो 18 घंटे चला.
ओबामा सरकार हक्कानी नेटवर्क को आतंकवादी करार देने को लेकर कई दिनों से बहस में फंसी थी. कुछ अधिकारियों का कहना है कि इससे असल युद्ध पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन कुछ और मानते हैं कि इससे बाकी देशों से संपर्क किया जा सकेगा जहां हक्कानी नेटवर्क सक्रिय है या जहां उसकी संपत्ति है. अमेरिकी सरकार ने हक्कानी नेटवर्क के कुछ नेताओं को को पहले से ही ब्लैकलिस्ट कर दिया था लेकिन पूरे संगठन को प्रतिबंधित करने की बात अब जाकर हुई है.
हक्कानी नेटवर्क का काम माफिया गुट जैसा है. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक यह गुट अपहरण, ड्रग्स और तस्करी के जरिए पैसे कमाते हैं और खाड़ी देशों, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार का काम करते हैं. पाकिस्तान के साथ संबंधों की वजह से भी अमेरिका इसे आतंकवादी गुट करार नहीं देना चाह रहा था. पिछले साल अमेरिकी एडमिरल माइक मलन ने रिटायर होने से पहले हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का हिस्सा बताया लेकिन अब अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान को आश्वासन दिलाना चाहते हैं कि यह कदम पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ नहीं है.
एमजी/एनआर (आईपीएस, रॉयटर्स)