हजारों लोगों ने दी तासीर को अंतिम विदाई
५ जनवरी २०११हरे और सफेद रंग के पाकिस्तानी झंडे में लिपटी सलमान तासीर के शव वाला ताबूत हैलीकॉप्टर से लाहौर की सैनिक छावनी के कब्रगाह तक लाया गया. इससे पहले पंजाब के गवर्नर हाउस में प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और पीपीपी के हजारों समर्थकों ने नमाज ए जनाजा में हिस्सा लिया.
मंगलवार को सलमान तासीर की हत्या के कुछ ही देर बाद पीपीपी समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद वहां बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया गया. शहर की सारी दुकानें बुधवार को भी बंद रहीं. लाहौर के कमिश्नर खुसरो परवेज ने बताया कि पूरे पंजाब में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. अल्पमत में आ चुकी सरकार के मुखिया यूसुफ रजा गिलानी ने लोगों से शांत रहने की अपील की है.
पीपीपी नेता मुहम्मद वकास ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा,"हमारे विरोधी हमारी पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं लेकिन हम इस देश के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे."
गृह मंत्री रहमान मलिक ने बताया कि पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अंगरक्षक मलिक मुमताज कादरी ने अपनी मर्जी से तासीर पर गोलियां चलाई या फिर किसी ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था. मुमताज कादरी सरकारी सुरक्षा बल का प्रशिक्षित कमांडो है. तासीर की सुरक्षा में कादरी को पहले भी पांच-छह बार तैनात किया जा चुका है. पुलिस का कहना है कि कादरी अहिंसक धार्मिक संगठन दावत ए इस्लामी से जुड़ा है.रहमान मलिक ने कहा,"हम इस बात की छानबीन करेंगे कि कादरी का नाम ड्यूटी लिस्ट में किसने डाला था, हमें ये पता चला है कि वह अपनी ड्यूटी लगवाने के लिए पुलिस सुपरवाइज के पास गया था."सुपरवाइजर और 10 दूसरे लोगों को हत्या के बाद पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.
सलमान तासीर की हत्या ईशनिंदा कानून का विरोध करने की वजह से की गई है. तासीर ट्विटर पर और दूसरे माध्यमों से इस कानून के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. उन्होंने इस कानून की गिरफ्त में आए लोगों से मुलाकात भी की और उनके साथ अपना समर्थन जताया. अमेरिका ने सलमान तासीर की हत्या को एक "बड़ा नुकसान" करार दिया है.
सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक का एलान किया है. इस बीच प्रमुख विपक्षी पार्टी पीएमएल(एन) ने सरकार कुछ सुधारों को शुरू करने के लिए 72 घंटे का समय दिया है. यह समय सीमा शोक का वक्त पूरा होने के बाद शुरू होगी. गिलानी के सामने मजबूरी है कि वो पीएमएल(एन) की बातों पर विचार करें जिससे कि विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव न लाए. ऐसा नहीं करने की सूरत में उन्हें मध्यावधि चुनाव का सामना करना पड़ेगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ए कुमार