हथियारों के सौदागर विक्टर बोउत का अमेरिका प्रत्यर्पण
२० अगस्त २०१०इसे अमेरिका का प्रभाव कहा जाए या दुनिया के लगभग सभी अशांत क्षेत्रों में अमेरिकी हित प्रभावित होने का खतरा, थाईलैंड की अदालत ने आखिरकार मान ही लिया कि बोउत को रूस के बजाय अमेरिका को ही प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए. रूसी वायु सेना के पूर्व पायलट बोउत को 2008 में अमेरिकी जासूसों के एक स्टिंग ऑपरेशन का शिकार बना कर बैंकॉक में पकडा़ गया था. वह कोलंबिया के उन फार्क विद्रोहियों को सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों की सप्लाई बातचीत के लिए थाईलैंड गया था जिनके खात्मे के लिए अमेरिका कोलंबिया सरकार की मदद कर रहा है.
स्टिंग के जाल में फंसने के बाद कथित सौदे के सिलसिले में बोउत ने डेनमार्क और रोमानिया जाकर फार्क के गुरिल्ला विद्रोहियों के रूप में छद्म भेषधारी अमेरिकी जासूसों के साथ कई बैठकें भी की थीं. योजना के मुताबिक इन मिसाइलों का इस्तेमाल कोलंबिया में तैनात अमेरिकी हेलीकॉप्टरों को मार गिराने में करना था.
दो साल तक चली कानूनी जंग के बाद अदालत ने बोउत के खिलाफ लगाए गए अमेरिकी आरोपों को सही करार दिया. इसके अनुसार बोउत सिएरा लियोन से लेकर अफगानिस्तान तक दुनिया भर में चल रहे तमाम खतरनाक खूनी विद्रोहों में विमान और मिसाइलों से लेकर बंदूक तक सभी तरह के हथियार मुहैया करा रहा था.
बोउत कम से कम छह भाषाओं का जानकार है और कई छद्म नामों से पिछले 20 सालों से कई देशों की यात्रा कर चुका है. इतना ही नहीं उसकी करतूतें पकड़ में आने पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिबंध के बावजूद वह बेखौफ अपना धंधा चलाता रहा. उसकी वजह से अफगानिस्तान, कांगो, अंगोला, रवांडा, सिएरा लियोन, सूडान और लाइबेरिया के विद्रोहियों के खिलाफ संघर्ष प्रभावित हुआ.
इन सबके बीच दिलचस्प पहलू यह रहा कि हॉलीवुड एक्टर निकोलस केज के लिए बोउत के खिलाफ आरोपों की फेहरिस्त जीवंत पटकथा साबित हुई और उन्होंने "लॉर्ड ऑफ वार" नामक फिल्म में इस किरदार को निभाया. वरिष्ठ पत्रकार डगलस फराह ने बोउत पर आधारित अपनी किताबों में उसे "यूनीक करेक्टर" बताया जबकि ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री पीटर हेन ने उसे "मौत के सौदागर" का तमगा दिया था.
शुरू से ही खुद को बेकसूर बता रहे बोउत की दलील है कि वह मालवाहक विमानों का कारोबारी है और अल कायदा जैसे संगठनों के साथ उसका कोई ताल्लुक नहीं है. इसके अलावा रूस ने भी अदालत के फैसले पर खेद जताते हुए इसे गैरकानूनी और राजनीति से प्रेरित बताया. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यह फैसला विदेशी ताकतों के अत्यधिक दबाव में किया गया है और रूस बोउत के मॉस्को प्रत्यर्पण का प्रयास जारी रखेगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल
संपादनः महेश झा