हल्के पड़ते नडाल ने रैकेट किया भारी
४ जनवरी २०१२साल के पहले ग्रैंड स्लैम यानी ऑस्ट्रेलियाई ओपन से पहले नडाल अपना भारी रैकेट दोहा में टेस्ट कर रहे हैं, जहां उन्हें डेविस कप में खेलना है. पिछले साल वह सेमीफाइनल में और उससे पहले फाइनल में हार गए थे. 25 साल के नडाल के पास ग्रैंड स्लैम की तैयारी के लिए बहुत ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. ऊपर से उनके कंधे में चोट भी लगी थी और उनका कहना है कि वह ठीक हो रहे हैं.
उनका कहना है, "कायदे से मुझे दो हफ्ते या उससे ज्यादा इस रैकेट से प्रैक्टिस करने की जरूरत थी. शायद तीन हफ्ते या एक महीने. लेकिन आखिर में सिर्फ एक ही हफ्ता प्रैक्टिस कर पाया. मैं यहां पहुंच गया हूं. शायद पूरी तैयारी नहीं हो पाई है. लेकिन अब तो यही है." साल का पहला ग्रैंडस्लैम मेलबर्न में 16 जनवरी को शुरू हो रहा है. पिछला ऑस्ट्रेलियाई ओपन नोवाक जोकोविच ने जीता था.
नडाल का कहना है कि उन्होंने भारी रैकेट का इस्तेमाल करने का फैसला किया है क्योंकि हाल के दिनों में उनके शॉट्स कमजोर पड़े हैं. उनका कहना है, "मैं नया सीजन शुरू करते हुए बहुत उत्साहित महसूस कर रहा हूं. नई शुरुआत मेरे लिए आसान नहीं होगी. मेरी तैयारी पूरी नहीं है. मुझे तो लग रहा है कि मैं गेंद पर भी पूरा नियंत्रण नहीं कर पा रहा हूं. मैं वैसा फोरहैंड नहीं लगा पा रहा हूं, जैसा कभी लगाया करता था."
टेनिस की तरह क्रिकेट में भी भारी बल्ले से खेलने का रिवाज है. भारत के सचिन तेंदुलकर और वेस्ट इंडीज के पूर्व बल्लेबाज क्लाइव लॉयड सबसे भारी बल्ले से खेलने वाले क्रिकेटर हैं. उनके शॉट्स में इसका फर्क साफ दिखता है. हालांकि लगातार चोट लगने के बाद सचिन ने एक बार फिर हल्का बल्ला अपना लिया है.
रफाएल नडाल को टेनिस इतिहास के महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में गिना जाता है, जिन्होंने 25 साल से कम उम्र में ही चारों ग्रैंड स्लैम जीत लिए हैं. लेकिन पिछले साल सर्बिया के नोवाक जोकोविच उन पर भारी पड़े. नडाल के पहले नंबर की कुर्सी गई और इस दौरान जोकोविच ने तीन ग्रैंड स्लैम भी जीत लिए. नडाल के हिस्से सिर्फ फ्रेंच ओपन आया.
नडाल का कहना है कि हो सकता है कि फौरी तौर पर उन्हें बहुत ज्यादा मदद न मिले लेकिन आने वाले टाइम में उन्हें इसका फायदा मिल सकता है. "यह एक तरह से मेरे खेल में मेरा निवेश है."
रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह