हाथियों और बंदरों ने बनाई पेंटिंग
६ फ़रवरी २०१२हाथी और बंदरों द्वारा की गई चित्रकारी लोगों को हैरत में डाल रही है. यदि यह बात न बताई जाए कि ये चित्र जानवरों द्वारा बनाए गए हैं तो अधिकतर लोग इन्हें 'मॉडर्न आर्ट' समझ लेंगे और इनकी गहराइयां तलाशने लगेंगे. 'आर्ट बाय एनिमल्स' नाम की इस प्रदर्शनी में हाथियों और बंदरों द्वारा बनाई गई पेंटिंग रखी गई हैं. लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के ग्रांट म्यूजियम ऑफ जूलॉजी में यह प्रदर्शनी चल रही है.
पेंटिंग के आलावा यहां 'बाउवर बर्ड' नाम के एक पक्षी द्वारा बनाए गए ढांचे भी रखे गए है. ये पक्षी ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं. मादा बाउवर बर्ड नर पक्षियों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए तिनकों से एक घौसलानुमा ढांचा तैयार करती हैं. इन्हें वे रंग बिरंगी चीजों से सजाती हैं. इन्हीं ढांचों को इस प्रदर्शनी में दिखाया जा रहा है. प्रदर्शनी का उद्देश्य है लोगों को यह बात समझाना कि पशु पक्षी भी रचनात्मक हो सकते हैं, उनकी भी कल्पना होती है.
शोध का विषय
जानवरों की कला को लेकर मनुष्यों में लम्बे समय से उत्सुकता रही है. यह प्रदर्शनी भले ही अपने किस्म की पहली प्रदर्शनी हो, लेकिन दशकों से इस पर शोध किए जा रहे हैं. 1970 में पहली बार जीव विशेषज्ञों का ध्यान इस ओर गया. आजकल कई चिड़ियाघरों में जानवरों को कैनवस, पेंट और ब्रश दिया जाता है, ताकि वह चित्रकारी करते हुए अपना समय बिता सकें. ग्रैंट म्यूजियम के मैनेजर जैक एश्बी बताते हैं कि इनके जरिए जानवरों के अंतर्मन के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.
सवाल यह भी उठता है कि क्या जानवर अपनी पेंटिंग के माध्यम से कोई संदेश पहुंचाना चाह रहे हैं. जैक एश्बी बताते हैं, "बंदरों द्वारे बनाए गए चित्रों की अधिकतर दो या तीन साल के बच्चों के चित्रों से तुलना की जाती है, हालांकि वे जितने भी बड़े हो जाएं, वे इस से बेहतर नहीं बना पाते." लेकिन बच्चों की तरह कई बार इन्हें खाने पीने का लालच दिया जाता है, ताकि वे चित्रों पर ध्यान दें, "ज्यादातर वह बस मजे के लिए ही चित्र बनाते हैं, लेकिन इनमें से कई जानवरों को ट्रेनिंग देनी पड़ती है और कईयों को इनाम का लालच भी."
बुद्धिमान चिम्पैंजी
सबसे बेहतरीन चित्र चिम्पैंजी बना पाते हैं. उनका डीएनए मनुष्यों से 98 प्रतिशत मेल खाता है. वे केवल कैनवस पर लकीरें ही नहीं खीचते बल्कि उन्हें अच्छी तरह पता होता है कि वे क्या बना रहे हैं."वह यह बात भी तय करते हैं कि उनकी तस्वीर अब पूरी हो चुकी है. अगर आप उन्हें कागज दें तो वे अपनी पेंटिंग अलग रख कर नई पेंटिंग बनाना शुरू कर देंगे."
हाथियों को हालांकि थोड़ी ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत होती है. उन्हें सिखाना पड़ता है कि वह अपनी सूंड से ब्रश कैसे पकड़ सकते हैं. पर इन पेंटिंग के पीछे उनकी क्या सोच है यह कहना मुश्किल है. एश्बी कहते हैं, "पेंटिंग बनाते वक्त जानवर कुछ सोच रहे हैं या नहीं, यह तो आप को खुद ही तय करना होगा. हमारे पास इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. और सवाल यह भी उठता है कि कला की शुरुआत होती कहां है?"
रिपोर्ट: डीपीए/ईशा भाटिया
संपादन: आभा एम