हैकर्स लंबे समय तक जर्मन पुलिस के कंप्यूटर में रहे
१८ जुलाई २०११जर्मनी के अखबार बिल्ड अम सोनटाग ने साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय एजेंसी बीएसआई की रिपोर्ट का एक हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि सितंबर 2010 से जर्मन पुलिस के कंप्यूटर हैकिंग हमले का शिकार हैं. गोपनीय रिपोर्ट में लिखा गया है कि ट्रोजन्स या ऐसे प्रोग्राम्स के जरिए किया जाने वाला हमला 2011 की शुरुआत में पहचाना जा सका. इन हमलों के जरिए कंप्यूटर की जानकारी बाहर के कंप्यूटरों से पढ़ और चुराई जा सकती है.
जर्मन कस्टम सर्विस कंप्यूटर में सेंध का मामला तब सार्वजनिक हो गया जब हैकर्स ने चोरी की हुई फाइलें इंटरनेट पर जारी कर दीं.
साप्ताहिक पत्रिका फोकस के ऑनलाइन संस्करण में एक सुरक्षा अधिकारी ने चिंता जताई है कि पुलिस जांच की कई गोपनीय फाइलें सार्वजनिक हुई हो सकती हैं.
सुरक्षा सूत्रों ने डीपीए समाचार एजेंसी से बातचीत में इस आशंका की पुष्टि की है लेकिन इन रिपोर्टों पर अभी कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है.
पुलिस संघ जीडीपी ने मांग की है कि इंटरनेट हैकिंग से बचने के लिए और अच्छी तकनीक का इस्तेमाल किया जाए. जीडीपी अध्यक्ष राइनर वेन्ड्ट ने कहा, "रोजमर्रा के जीवन में कईं बार पुलिस पर हमला होता है और इससे बचने के लिए हमारे पास हथियार भी होते हैं लेकिन वर्चुअल दुनिया में नहीं."
उन्होंने साइबर कॉप्स से इंटरनेट पर पहरा देने की मांग की है और कहा है कि या तो वे उन सर्वर को ब्लॉक कर दें जो इंटरनेट हमले के जिम्मेदार हैं या फिर उन्हें नष्ट कर दें.
जर्मनी में साइबर हमले पर बढ़ती चिंता और बहस से बीच इस हमले की रिपोर्ट सबसे ताजा है. 16 जून को ही जर्मनी के गृह मंत्रालय ने बॉन में नेशनल साइबर डिफेंस सेंटर का उद्घाटन किया. यहां अब 12 संपर्क अधिकारी ऑनलाइन अपराध से बचने और उन्हें रोकने के लिए काम कर रहे हैं.
रिपोर्टः डीपीए/आभा एम
संपादनः एन रंजन