ऑस्ट्रेलिया में सायबर अपराधों से निपटने के लिए कानून
२२ जून २०११ऑस्ट्रेलिया के अटॉर्नी जनरल रॉबर्ट मैकक्लीलैंड ने बताया, "सायबर अपराध के खतरे का मतलब यह है कि कोई एक देश इससे अकेले नहीं निपट सकता. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है." संसद से पास हो जाने के बाद यह कानून ऑस्ट्रेलियाई पुलिस और खुफिया एजेंसियों को अधिकार देगा कि टेलीकम्युनिकेशन कंपनी से संवेदनशील जानकारी को हासिल कर सकें. ऐसी जानकारी को कुछ दिन तक रखने के बाद नष्ट कर दिया जाता है.
ऑस्ट्रेलिया की कोशिश है कि अन्य देशों में सायबर अपराधों से निपटने वाली एजेंसियों के साथ तालमेल को बढ़ाया जाए. इससे सुरक्षा एजेंसियों को विदेश से जानकारी हासिल करने और अपराध की पड़ताल करने में मदद मिलेगी. मैक्कलीलैंड ने कहा, "सायबर अपराध से लड़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया के पास घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरूरी व्यवस्था होनी चाहिए."
हाल के दिनों में हैकरों ने कई वेबसाइटों और संस्थानों को अपने निशाने पर लिया है. अमेरिकी प्रशासन के अलावा दुनिया की बड़ी कंपनियों में हैकिंग की कोशिश की गई है जिससे सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं. सरकार और निजी कंपनियां अब सुरक्षा बढ़ाने के लिए नई कोशिशों में जुट गई हैं. सिटीग्रुप, लॉकहीड मार्टिन, गूगल, आईएमएफ सहित कई अन्य कंपनियों को निशाना बनाया गया.
हैकिंग और इलैक्ट्रॉनिक जासूसी से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया सायबर सुरक्षा रणनीति का विकास कर रहा है. इसके तहत उस स्थिति से भी निपटने के लिए कदम उठाए जाएंगे जब कोई सरकार समर्थित गुट हैकिंग का प्रयास करता है. इस योजना का ब्लूप्रिंट अगले साल तक तैयार हो जाएगा. ऑस्ट्रेलिया में करीब चार हजार कंपनियों पर सायबर हमले हो चुके हैं और संसद में भी कंप्यूटर नेटवर्क में बाधा खड़ी की गई. ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि जांचकर्ताओं के हाथ मजबूत करने के लिए यह एक जरूरी कदम है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा