हैदराबाद धमाके पर आरएसएस नेता से पूछताछ
२३ दिसम्बर २०१०गुरुवार को नई दिल्ली में सीबीआई के दफ्तर पहुंचे इंद्रेश कुमार ने बताया, "मुझे पूरा विश्वास है कि मैं निर्दोष साबित होऊंगा." सीबीआई ने केस में इंद्रेश का नाम आने के बाद उन्हें समन भेजा गया. हालांकि उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है. 2007 में हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए धमाके ने नौ लोगों की जान ली. इसके बाद वहां हुई पुलिस फायरिंग में भी पांच लोग मारे गए.
62 वर्षीय इंद्रेश 2001 से 2004 तक राजस्थान में रहे. वह राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के साथ काम करते रहे हैं. यह आरएसएस का ही संगठन है जो खुद को मुसलमानों का राष्ट्रवादी संगठन बताता है. पूछताछ के लिए जाने से पहले इंद्रेश ने कहा, "यह कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक साजिश है. मुझे नहीं पता उन्होंने मुझे क्यों बुलाया है. कानून का पालन करने वाले नागरिक की तरह मैं उन सभी सवालों का जवाब दूंगा जो मुझसे पूछे जाएंगे. मैं अपने दोस्तों और साथियों से अपील करता हूं कि वह मेरे साथ होने वाली पूछताछ पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताएं."
शुक्रवार को अजमेर के मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश 806 पन्नों की चार्जशीट में एटीएस ने कहा है कि अजमेर में हुए धमाकों में स्वामी असीमानंद और सुनील जोशी का हाथ था. इन दोनों की 2007 में हत्या कर दी गई. आरोप है कि असीमानंद और जोशी ने गोपनीय तरीके से जयपुर में 31 अक्टूबर 2005 को एक गोपनीय बैठक की. बताया जाता है कि इसमें इंद्रेश और साध्वी प्रज्ञा समेत पांच और लोग भी शामिल थे. साध्वी प्रज्ञा मालेगांव बम धमाके में आरोपी है.
चार्जशीट के मुताबिक इस बैठक में इंद्रेश ने सुझाव दिया कि उन्हें दूसरे धार्मिक संगठनों के साथ मिल कर काम करना चाहिए. इससे किसी को उन पर शक भी नहीं होगा और वे सफलतापूर्वक धमाके करने में कामयाब भी रहेंगे.
रिपोर्टः एजेंजियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह