हॉलीवुड के धुरंधर चल पड़े भारत की ओर
२ नवम्बर २०१०वैसे भारत में फिल्म बनाने के लिए आने का सिलसिला करीब करीब उतना ही पुराना है जितना कि सिनेमा. 1920 में जर्मन फिल्मकार फ्रांत्स ओस्टेन ब्लैक एंड वाइट मूक फिल्मों की एक सीरीज बनाने भारत आए. ये फिल्में भारत के धर्म और इतिहास पर बनी थीं. बीते तीन चार सालों में भारत में 100 से ज्यादा विदेशी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है.
फिल्म विभाग के संयुक्त निदेशक डीपी रेड्डी बताते हैं, "यहां पर शूटिंग के लिए ढेर सारे लोकेशन और साथ में तकनीकी सुविधाएं मौजूद हैं और वह भी विश्व स्तर की. विदेशी फिल्मकारों को यहां ये सब आसानी से मिल जाती हैं. इसलिए यहां आना उनके लिए फायदेमंद है."
इधर जो बड़ी फिल्में भारत में बनीं, उनमें 1983 में जेम्स बॉन्ड सीरीज की ऑक्टोप्सी, द बोर्न सुपरमेसी और अ माइटी हार्ट हैं. ऑस्कर में डंका बजाने वाली स्लमडॉग मिलिनेयर के बाद जूलिया रॉबर्ट्स की ईट प्रे लव सबसे ज्यादा हाईप्रोफाइल फिल्म थी जो भारत में शूट हुई. ब्रिटीश फिल्मकार तो यहां शूटिंग के लिए आते ही रहते हैं पर अब दुनियाभर के फिल्मकारों ने भारत का रुख कर लिया है. हाल ही में मिशन इम्पॉसिबल और लाइफ ऑफ पाई को शूटिंग की मंजूरी मिली है. इनके अलावा द बेस्ट एग्जॉटिक मैरीगोल्ड की शूटिंग भी भारत में ही होगी. मशहूर फिल्म शेक्सपीयर इन लव बनाने वाले जॉन मैडेन इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं.
फिल्म समीक्षक मीनाक्षी शेड्डे विदेशी फिल्मकारों के भारत आने के लिए सिर्फ यहां के लोकेशन, अध्यात्म, लोग और उनकी सोच को ही वजह नहीं मानतीं. उनका कहना है, "विदेशी बाजारों में दर्शकों के सभी वर्गों तक पहुंच चुके फिल्मकार नए दर्शकों की तलाश में भी इधर आ रहे हैं. यह पूरी तरह से कारोबार का मसला है."
जानकार भी मानते हैं कि विदेशी फिल्मों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है. 2009 में कुल 60 विदेशी फिल्में भारत में रिलीज की गईं. इन फिल्मों से करीब साढ़े आठ करोड़ डॉलर की कमाई हुई. स्थानीय भाषाओं में इन फिल्मों का अनुवाद भी अच्छी खासी कमाई करा रहा है. हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि दूसरे विकासशील देशों के मुकाबले भारत में सिनेमा के सस्ते टिकट कमाई की राह में एक बड़ी बाधा हैं.
वैसे भारत की फिल्मों पर भी हॉलीवुड की इस मौजूदगी का असर हो रहा है. मीनाक्षी कहती हैं, "हॉलीवुड राष्ट्रीय सिनेमा को खत्म कर रहा है. गनीमत है कि टॉम क्रूज और स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्मों का तीन चार स्थानीय भाषाओं में अनुवाद होने के बाद भी बाजार में उनकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से ऊपर नहीं है."
वैसे ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि भारत में विदेशी फिल्मों का आना देसी सिनेमा के लिए भी अच्छा है. पिछले साल बॉलीवुड के कारोबार में करीब 14 फीसदी की कमी आई और यह घट कर 89.3 अरब रुपये पर रह गया. अगर विदेशी फिल्मकार आए और सफल हुए तो बाजार मुनाफा वसूलेगा.
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः वी कुमार