18 महीने बाद तालिबान के कैद से रिहा हुए फ्रांसीसी पत्रकार
३० जून २०११कैमरामैन स्टेफान तापोनिये और पत्रकार एर्वे घेस्कियेर फ्रांस 3 नेटवर्क के लिए रिपोर्टिंग पर 2009 में अफगानिस्तान गए थे. उसी साल नवंबर में उन्हें काबुल के पूर्व कपीसा पहाड़ों के पास बंदी बना लिया गया. दोनों पत्रकार गुरुवार को पैरिस पहुंचे. काबुल में फ्रांस के दूतावास के एक अधिकारी ने कहा, "दोनों मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी स्वस्थ लग रहे थे."
हालांकि अब तक पता नहीं चल पाया है कि चरमपंथियों ने इन पत्रकारों को क्यों रिहा किया. फ्रांस के विदेश मंत्री एलें जुप्पै ने कहा था कि पत्रकारों की रिहाई के लिए कोई फिरौती नहीं दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों पत्रकारों के साथ गिरफ्तार किए और दो लोग रिहा हो गए हैं और बंदियों के सिलसिले में सावधानी बरतनी पड़ती है. फ्रांस के मीडिया समुदाय ने भी अपनी सरकार से मांग की कि वह बाकी देशों में चरमपंथियों के शिकार बने पत्रकारों को भी रिहा कराने की कोशिश करें.
परिवार वाले खुश
दोनों पत्रकारों के परिवार वाले और दोस्त खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. घेस्कियेर की साथी बीत्रीस कूलों ने कहा, "हां जाहिर है मैं उनका स्वागत करने वहां रहूंगी." तापोनियेर के भाई ने कहा कि खबर सुन कर वह काफी हैरान थे. उनकी मां आर्लेट खुश हैं कि उनका बेटा वापस आ रहा है.
बुधवार को फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा फिलों ने संसद में खबर दी थी कि दोनों पत्रकार वापस आ रहे हैं. फिलों ने बताया कि दोनों पत्रकारों को अफगानिस्तान में फ्रांस के सैनिकों को सौंप दिया गया.
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी के दफ्तर से एक बयान में कहा गया है, "राष्ट्रपति इस बात से बहुत खुश हैं कि हमारे दो नागरिक, स्टेफान तापोनिये और एर्वे घेस्कियेर और उनके अनुवादक रजा दिन रिहा हो गए हैं." अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के प्रवक्ता ने काबुल में कहा कि वह फ्रांस की सरकार और फ्रांस के लोगों को बधाई देते हैं. फ्रांस के लगभग 4000 सैनिक अफगानिस्तान में हैं. राष्ट्रपति सारकोजी ने इस बीच एलान किया है कि फ्रांस के 'सैंकड़ों' सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी होगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः ए कुमार