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23 साल बाद पाकिस्तानी जेल से रिहा गोपाल दास

७ अप्रैल २०११

पाकिस्तान ने 23 साल तक जेल में रहे एक भारतीय को मानवीय आधार पर रिहा कर दिया है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट की अपील के बाद पिछले महीने गोपाल दास की रिहाई का आदेश दिया.

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क्रिकेट कूटनीति की कामयाबीतस्वीर: AP

वाघा सीमा पर पाकिस्तानी रैंजर्स के प्रवक्ता महबूब हुसैन ने पुष्टि की है कि दास को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया है. एक अन्य पाकिस्तान अधिकारी ने बताया, "दास बहुत ही ज्यादा खुश था. उसे लेने उसके परिवार वाले भी आए थे." दास ने बताया कि जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उनकी उम्र 26 साल की थे. उन्हें 1987 में उम्रकैद की सजा मिली थी. उन्हें इस साल के अंत तक रिहा होना था.

पाकिस्तानी राष्ट्रपति कार्यालय से इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है कि दास को किस अपराध के लिए यह सजा दी गई, लेकिन जहां उन्हें रखा गया, लाहौर की उस कोट लखपत जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दास को जासूसी के आरोप में यह सजा दी गई. पिछले महीने जब भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मोहाली में दोनों देशों के वर्ल्ड कप क्रिकेट का सेमीफाइनल मुकाबला देखने के लिए आमंत्रित किया तो दास की रिहाई के आदेश दिए गए.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने निमंत्रण स्वीकार किया और 2001 के बाद भारत के दौरे पर जाने वाले पहले प्रधानमंत्री बने. इस दौरे को क्रिकेट कूटनीति का नाम दिया गया जिससे दोनों प्रतिद्वंद्वी देशों के रिश्तों में तनाव कम हुआ. 2008 में मुंबई के आतंकवादी हमलों ने दोनों देशों के बीच चार साल तक चली शांति प्रक्रिया को ठप कर दिया. भारत कहता है कि इन हमलों के लिए पाकिस्तानी उग्रवादी जिम्मेदार हैं.

भारत और पाकिस्तान की जेलों में एक दूसरे के सैंकड़ों कैदी मौजूद हैं जिन्हें जासूसी या गैरकानूनी रूप से प्रवेश के आरोपों में सजा हुई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः उभ

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