28 साल बाद भारत फिर क्रिकेट का सरताज
२ अप्रैल २०११भारत के लिए यह जीत आसान नहीं रही. श्रीलंका ने उसे मुश्किल लक्ष्य दिया. टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए श्रीलंका ने 274 रन का बड़ा टारगेट खड़ा किया था. इसमें महेला जयवर्द्धने की बेहतरीन पारी का योगदान सबसे बड़ा रहा. उन्होंने 88 गेंदों पर 103 रन की शानदार पारी खेली.
भारत की पारी
यह टारगेट आसान नहीं था. और रही सही कसर सचिन और सहवाग के जल्दी जल्दी आउट होने ने पूरी कर दी. सहवाग तो बिना कोई रन बनाए आउट हो गए. सचिन ने भी सिर्फ 18 रन बनाए.
लेकिन गंभीर ने विजेता की पारी खेली. उन्होंने पहले कोहली और फिर कप्तान धोनी के साथ मिलकर जीत की नींव तैयार की. पहले कोहली आउट हुए. उन्होंने 35 रन बनाए.
गंभीर थोड़े से निराश तो होंगे, क्योंकि वह अपने शतक से सिर्फ तीन रन से चूक गए. उनके जाने के बाद मैच मैच और रोमाचंक हो चला. लेकिन धोनी के साथ युवराज की जोड़ी को दुनिया की सबसे अच्छी फिनिशिंग जोड़ी कहा जाता है. दोनों ने वही किया. मैच 50 ओवर से पहले ही खत्म हो गया. धोनी 79 गेंदों पर 91 रन की कप्तानी पारी खेलकर नॉट आउट रहे. युवराज ने 24 गेंदों पर 21 रन बनाए.
श्रीलंका की पारी
इससे पहले श्रीलंका की शुरुआत काफी धीमी रही थी. पहले 10 ओवरों में उसके सिर्फ 31 रन बने थे जबकि एक विकेट भी गिर गया था. उपुल थरंगा को जहीर खान जब आउट किया, तब श्रीलंका के 17 ही रन बने थे. लेकिन उसके बाद दिलशान और संगकारा ने मजबूत साझेदारी बनाते हुए टीम के रन रेट को आगे बढ़ाया. दिलशान 33 के निजी स्कोर पर भज्जी की गेंद पर बोल्ड हुए. संगकारा जब आउट हुए, तब श्रीलंका के 122 रन बन चुके थे.
लेकिन जयवर्द्धने जमे रहे. उन्होंने समरवीरा और फिर कुलसेकरा के साथ मिलकर अहम साझेदारी निभाई और टीम को मजबूती दी. लेकिन श्रीलंका के लिए अहम रहे आखिरी पांच ओवर. इनमें जयवर्द्धने के साथ पहले कुलसेकरा और फिर परेरा ने मिलकर कुल 63 रन जोड़ दिए. परेरा ने तो 10 गेंदों पर 22 रन बना डाले. नतीजतन भारत को 275 रन का टारगेट मिला.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन