72 साल बाद पते पर पहुंचा बापू का खत
११ अक्टूबर २०१०फिलिप ली को लिखा यह पोस्टकार्ड उनके बेटे जॉन ली को पिता के निजी सामानों के बीच रखा मिला, जिसे उन्होंने कॉलेज प्रशासन को सम्मान के साथ वापस कर दिया. हालांकि इस बीच पूरे 72 साल का अर्सा बीत चुका है और ना तो पत्र लिखने वाला जीवित है ना पत्र पाने वाला. सिडनी के एक कॉलेज में प्रोफेसर जॉन ली हाल ही में जब कोट्टायम एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए, तो यह पत्र अपने साथ लाकर कॉलेज को सौंप दिया.
बापू ने इस पत्र में देश की आजादी के लिए चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन में कॉलेज के छात्रों के शामिल होने का जिक्र किया था. ये पत्र गांधी जी को कॉलेज की तरफ से लिखे पत्र का जवाब था. इस पत्र में छात्रों के असहयोग आंदोलन के कारण कॉलेज चलाने में हो रही परेशानियों का ब्यौरा दिया गया. कॉलेज के प्रिंसिपल फिलिप ली ने गांधीजी से आग्रह किया था कि वह छात्रों को आजादी की लड़ाई के नाम पर हिंसक गतिविधियों में शामिल होने से रोकने में उनकी मदद करें. बापू ने अपने एक संदेश के साथ यह कार्ड फिलिप ली को भेजा.
16 अक्टूबर 1938 को भेजे गए इस पत्र में गांधी जी ने कॉलेज परिसर में हो रही गैरकानूनी कार्रवाइयों पर दुख जताया. इतिहासकारों के मुताबिक इस बारे में बापू ने अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुके मारदान जिले में एक शोक संदेश भी जारी किया था.
इतिहास का एक दस्तावेज बन चुके इस पत्र को कॉलेज प्रशासन अब संभाल कर रखने की तैयारी में जुटा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ए कुमार