हिरोशिमा बमबारी के प्रभावितों की संख्या बढ़ाई गई
२९ जुलाई २०२०हिरोशिमा जिला अदालत ने कहा कि अपील करने वाले सभी 84 वादियों को वो सभी चिकित्सा संबंधी सुविधाएं दी जाएं जो हमले के पीड़ितों को दी जाती हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा किए उस हमले के पीड़ितों को हिरोशिमा में स्थानीय लोग "हिबाकुशा" कहते हैं.
युद्ध के बाद, जापान की सरकार ने कुछ इलाकों को बमबारी की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित घोषित किया था और उस समय जो लोग वहां रह रहे थे उन्हें मुफ्त चिकित्सा देने की घोषणा की थी. ये 84 वादी जिन इलाकों में रहते थे वो हमले से प्रभावित घोषित इलाके से तो बाहर थे लेकिन हमले के बाद हुई रेडियोएक्टिव "काली बारिश" की चपेट में आ गए थे.
उन्होंने अदालत में दलील दी थी कि उनके स्वास्थ्य पर भी उसी तरह का प्रभाव पड़ा था जैसा कि उन लोगों पर पड़ा था जो घोषित इलाके में थे. जज योशियुकी ताकाशीमा ने कहा, "काली बारिश में भीग जाने से इन लोगों के वक्तव्यों में कोई तर्कहीनता नहीं है. मेडिकल कागजात दिखाते हैं कि इन लोगों को भी ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें परमाणु बम से संबंधित माना जाता है और जो हिबाकुशा की कानूनी परिभाषा के तहत आते हैं."
जापान में यूं भी बुजुर्गों के लिए एक उदार स्वास्थ्य व्यवस्था है. जो भी 75 वर्ष या उससे ज्यादा की आयु के हैं उन्हें अपने इलाज के खर्च का सिर्फ 10 प्रतिशत भुगतान करना पड़ता है, लेकिन इस मुकदमे का उन लोगों के लिए प्रतीकात्मक मूल्य था जो सालों से कह रहे हैं कि उस भयानक हमले में उन्हें भी कष्ट झेलना पड़ा था. फैसले की घोषणा के बाद वादियों और उनके समर्थकों में खुशी की एक लहर दौड़ गई. एक व्यक्ति ने अदालत से निकलने के बाद एक बैनर भी लहराया जिस पर लिखा था, "संपूर्ण विजय."
मार्च 2020 तक जापान की सरकार ने 1,36,682 लोगों को बतौर हिबाकुशा मान्यता दी हुई थी. इनमें नागासाकी में रहने वाले लोग भी शामिल थे, जहां नौ अगस्त, 1945 को दूसरा और अंतिम हमला हुआ था. हिरोशिमा पर बमबारी और उसके बाद की घटनाओं में करीब 1,40,000 लोग मारे गए थे और नागासाकी पर हमले में 74,000 लोग मारे गए थे. अगले सप्ताह दोनों हमलों को 75 साल पूरे हो जाएंगे और इस मौके पर जापान में विशेष आयोजन किए जाएंगे.
सीके/एए (एएफपी)
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