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चीन के सबसे युवा यात्री अंतरिक्ष के लिए रवाना

३० अक्टूबर २०२४

चीन ने तीन सदस्यों का एक दल अपने स्पेस स्टेशन पर भेजा है, जो उसका अब तक का सबसे युवा दल है. बुधवार, 30 अक्टूबर की सुबह चीनी रॉकेट इन तीनों को लेकर रवाना हुआ.

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चीनी अंतरिक्ष यात्री
शेनजोऊ-19 अभियान पर गए चीनी अंतरिक्ष यात्रीतस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance

चीन ने अपने तीन सदस्यीय दल को अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के बाद इसे "पूरी तरह सफल" घोषित किया. यह मिशन चीन के अंतरिक्ष अनुसंधान को चंद्रमा और उससे आगे बढ़ाने की कोशिशों का हिस्सा है.

शेनजोउ-19 अंतरिक्षयान उत्तर-पश्चिम चीन के शिउचान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से सुबह 4:27 बजे (स्थानीय समयानुसार) लॉन्ग मार्च-2एफ रॉकेट के साथ लॉन्च किया गया. यह रॉकेट चीन के अंतरिक्ष मिशनों की रीढ़ है.

चीन के सरकारी प्रसारक चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) ने घोषणा की, "क्रू की स्थिति अच्छी है और लॉन्च सफल रहा है."

चीन ने अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन तब बनाया, जब उसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर कर दिया गया. इसका कारण अमेरिका की चिंताएं थीं, क्योंकि चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सेना, पीपल्स लिबरेशन आर्मी का नियंत्रण है. चीन का चंद्र कार्यक्रम अमेरिका और अन्य देशों, जैसे जापान और भारत, के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा का हिस्सा है.

सबसे युवा अंतरिक्ष यात्री

दो पुरुष और एक महिला सदस्य वाला यह दल उन अंतरिक्ष यात्रियों की जगह लेगा, जो पिछले छह महीने से तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर रह रहे थे. नया दल अगले साल अप्रैल या मई तक वहां रहेगा.

नए मिशन के कमांडर, काई शूजे, 2022 में शेनझोउ-14 मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं, जबकि अन्य दो, सॉन्ग लिंगडोंग और वांग हाओजे, पहली बार अंतरिक्ष में पहुंचे हैं. ये दोनों 1990 के दशक में पैदा हुए थे. सॉन्ग वायु सेना के पायलट थे और वांग चीन एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन की इंजीनियर हैं. वांग इस दल की पेलोड विशेषज्ञ होंगी और किसी चालक दल मिशन पर जाने वाली तीसरी चीनी महिला होंगी.

चीन ने अंतरिक्ष में स्टेशन स्थापित करने के अलावा, मंगल पर एक खोजी अभियान भी भेजा है. उसका मकसद 2030 से पहले इंसान को चंद्रमा पर भेजना है. अगर ऐसा होता है, तो वह अमेरिका के बाद ऐसा करने वाला दूसरा देश बनेगा. चीन चंद्रमा पर एक अनुसंधान स्टेशन बनाने की भी योजना बना रहा है और उसने चंद्रमा के दूर की तरफ से चट्टान और मिट्टी के नमूने जुटाकर एक वैश्विक उपलब्धि हासिल की है.

अमेरिका अभी भी अंतरिक्ष अनुसंधान में सबसे आगे है. 50 से अधिक वर्षों में पहली बार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी कर रही है. हालांकि, नासा ने इस वर्ष के शुरू में इसके लिए तय तारीख 2026 तक बढ़ा दी थी. भारत भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है और उसके कुछ अंतरिक्ष यात्री नासा में ट्रेनिंग ले रहे हैं.

21 साल में लंबा सफर

चीन ने 2003 में अपना पहला मानव मिशन लॉन्च किया, ऐसा करने वाला वह पूर्व सोवियत संघ और अमेरिका के बाद तीसरा देश बना. चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम राष्ट्रीय गर्व का एक बड़ा स्रोत है और पिछले दो दशकों में चीन की तकनीकी तरक्की का प्रतीक है.

नया चीनी दल अंतरिक्ष में ‘स्पेस-वॉक' करेगा और मलबे से स्टेशन की सुरक्षा के लिए नए उपकरण स्थापित करेगा, जिसमें से कुछ मलबा चीन द्वारा ही पैदा किया गया है.

चांद पर पहुंच गया भारत

चीन के अंतरिक्ष अधिकारियों का कहना है कि उनके पास ऐसे उपाय हैं कि अगर उनके अंतरिक्ष यात्रियों को पहले पृथ्वी पर लौटना पड़ा तो वे सुरक्षित वापसी कर सकें.

नासा के अनुसार, "उपग्रह विस्फोटों और टक्करों" के कारण बड़े मलबे के टुकड़े बने हैं. चीन ने 2007 में एक पुराने मौसम उपग्रह को नष्ट करने के लिए रॉकेट दागा था, उसने और 2009 में अमेरिकी और रूसी संचार उपग्रहों की "आकस्मिक टक्कर" ने कक्षा में बड़े मलबे की मात्रा को काफी बढ़ा दिया था.

वीके/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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