जंक फूड पर रेड लेबल देने की मांग
१८ दिसम्बर २०१९सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने भारत में प्रचलित 33 देशी और विदेशी कंपनियों के पैकेट बंद भोजन की जांच में पाया कि उसमें नमक और वसा तय मात्रा से कई गुना ज्यादा है. सीएसई ने जुलाई से अक्टूबर 2019 के बीच भारत में बिकने वाले पैकेज्ड फूड जैसे कि चिप्स, इंस्टैंट नूडल्स, सूप और फास्ट फूड में बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज और सैंडविच के नमूनों की जांच की. सीएसई ने राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपिनयों के 33 सैंपल की जांच कर पता लगाया है कि इनमें नमक, फैट और ट्रांसफैट की मात्रा तय मानक से कहीं अधिक है. सीएसई का कहना है कि रिकमेंडेड डायटरी अलाउंस (आरडीए) के तहत सेहतमंद व्यक्ति के लिए एक दिन में नमक की मात्रा 5 ग्राम, 60 ग्राम वसा, 300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 2.2 ग्राम ट्रांसफैट तय की गई है. यह मात्रा स्वस्थ व्यक्ति के लिए रोजाना 2000 कैलोरी की जरूरत के हिसाब से ली गई है.
सीएसई ने क्या पाया
सीएसई ने पैकेटबंद खाद्य सामग्री की श्रेणी में चिप्स के छह, नमकीन के चार, इंस्टैंट नूडल्स के तीन और सूप के तीन ब्रांडों के प्रॉडक्टों की जांच की, इसके अलावा फास्ट फूड श्रेणी में बर्गर के आठ, फ्राइज के तीन, फ्राइड चिकन के एक, पिज्जा के चार, सैंडविच और रैप (एक प्रकार का रोल) के तीन ब्रांड के सैंपल की जांच की. सीएसई का कहना है कि इनमें नमक, शर्करा, फैट और ट्रांसफैट की मात्रा तय की गई सीमा से अधिक पाई गई.
जांच रिपोर्ट जारी करते हुए सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा, "हमने जिन सैंपलों की जांच की उनमें पाया कि नमक और वसा की मात्रा खतरनाक स्तर पर है. उपभोक्ता होने के नाते हमें यह जानने का हक है कि पैकेट में क्या है. लेकिन हमारा खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) इस पर कोई कदम नहीं उठा रहा है."
नारायण के मुताबिक खाने के पैकेट पर लाल निशान होने चाहिए ताकि उपभोक्ता को यह पता चल पाए कि वह जो खा रहा है उसमें क्या-क्या है. नारायण का कहना है कि फास्ट फूड में नमक, शर्करा और वसा की मात्रा अधिक होने पर स्पष्ट चेतावनी पैकेट पर दर्ज करने को अनिवार्य बनाया जाए. सीएसई का दावा है कि इस तरह के खाद्य पदार्थों के कारण दिल की बीमारी, मधुमेह और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है. सुनिता नारायण का आरोप है कि बड़ी कंपनियों के दबाव में एफएसएसआई रेड लेबल पर ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी नहीं कर रहा है.
पैकेज्ड फूड और फास्ट फूड को नियमित करने की कोशिश 2013 से चल रही है, इसके लिए एक समिति का भी गठन किया गया था. समिति ने खाद्य सामग्री के पैकेट पर लिखी जाने वाली जानकारी के बारे में अपनी सिफारिश दी थी. इसी साल एफएसएसआई ने नियमों का मसौदा जारी किया था, लेकिन अभी तक इसे अधिसूचित नहीं किया गया है.
______________
हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay |