अनजाने में डोपिंग का शिकार होते खिलाड़ी
११ नवम्बर २०११अब खिलाड़ियों को इस तरह की डोपिंग के बारे में जानकारी दी जा रही है और चेतावनी भी. इसके बावजूद अगर खिलाड़ी इस तरह की चीजें खा लेते हैं तो उन्हें सजा मिल सकती है. अनजाने में हुआ, ऐसा कहना अबसे काफी नहीं होगा. हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां रसायनों से प्रदूषित खाने के कारण रक्त में प्रतिबंधित पदार्थ पाए गए.
चीनी मांस
पिछले साल टेबल टेनिस खिलाड़ी दिमित्री ओव्ट्सचेरोव डोपिंग में फंस गए थे. उन्हें झटका लगा. उन्होंने अपने जीवन में कभी प्रतिबंधित दवा का इस्तेमाल ही नहीं किया. उन्हें पता भी नहीं था कि क्लेनब्यूटेरॉल नाम का कोई पदार्थ है. विश्व रैंकिंग में 13वें नंबर के इस खिलाड़ी की किस्मत अच्छी थी कि वह खाने में गड़बड़ी साबित कर सके. चीन में उन्होंने मांस खाया जिसमें ऐसे कैमिकल मौजूद थे जो प्रतिबंधित पदार्थों की श्रेणी में आते हैं. उस समय खाने से होने वाली डोपिंग के बारे में इतनी ज्यादा जानकारी नहीं थी. लेकिन अब स्थिति बदल गई है. जर्मनी की एंटी डोपिंग एजेंसी की प्रबंध निदेशक आंद्रेया गोट्समान कहती हैं, "यह कहना कि मैं चिली या मेक्सिको में था, अब नहीं चल सकता. हमने अप्रैल में खिलाड़ियों को चेतावनी दे दी है कि खाने में भी ऐसे पदार्थ हो सकते हैं जो खिलाड़ियों के लिए प्रतिबंधित हैं. खासकर चीन और मेक्सिको में. इसलिए अब यह सफाई नहीं चलेगी."
मेक्सिको में मुश्किल
प्रदूषित खाने में अधिकतर पाया जाने वाला पदार्थ क्लेनब्यूटेरॉल है. यह एक ऐसा पदार्थ है जो पशुओं को दिया जाता है ताकि उनका मांस बहुत वसा वाला न हो. खिलाड़ियों में यह पदार्थ तेजी से मांसपेशियां सुदृढ़ करने के काम आता है. लेकिन यह प्रतिबंधित है. यह एकाध मामला नहीं है. मेक्सिको में पिछले साल अंडर 19 की पूरी राष्ट्रीय टीम इसका शिकार हुई. वहां ऐसे कुल 109 मामले सामने आए. फीफा के जांचकर्ता यिरी द्वोराक के मुताबिक इन सबका कारण ऐसा मांस खाना था जो ठीक से साफ नहीं किया गया था.
एक और मामला
क्या यही कारण स्पेनिश साइकल रेसर अलबर्टो कोंटाडोर के मामले में भी था? तीन बार सबसे बड़ी साइकल सेर टूर डे फ्रांस के विजेता रह चुके कोंटाडोर के शरीर में भी पिछले साल क्लेनब्यूटेरॉल पाया गया. लेकिन न तो वह चीन गए थे और न ही मेक्सिको. क्या यूरोप में भी यह समस्या है? कोलोन के स्पोर्ट्स स्कूल में बायोकेमिस्ट के तौर पर काम करने वालीं गोट्समान का मानना है कि यूरोप क्लेनब्यूटेरॉल से मुक्त है. कोंटाडोर पर पहले भी डोपिंग के आरोप लगे थे. स्पेन के खेल संघ ने तो उन्हें निर्दोष करार दिया. लेकिन विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी वाडा ने मामला अंतरराष्ट्रीय खेल अदालत में पहुंचाया. इस मामले में एक फैसला इसी महीने आना है. गोट्समान कहती हैं, "खाने के कारण शरीर में गए प्रतिबंधित पदार्थों के पाए जाने पर व्यक्तिगत जांच होगी. यह क्यों हुआ इसकी सटीक जांच की जाएगी."
हिरण से बचें
क्लेनब्यूटेरॉल के अलावा भी खाने पीने में ऐसे पदार्थ हैं जो प्रतिबंधित हो सकते हैं. ऐसा ही एक विचित्र मामला तब सामने आया जब जर्मनी में महिला फुटबॉल की विश्व चैंपियनशिप में उत्तर कोरिया की 5 खिलाड़ियों के शरीर में प्रतिबंधित पदार्थ मिला. गोट्समान ने जानकारी दी, "इसका कारण था चीनी दवाई में मिलाया गया साइबेरियाई हिरण की ग्रंथि का अर्क. इन ग्रंथियों में स्टेरॉयड्स का प्रतिशत बहुत ज्यादा होता है और स्टेरॉयड्स को डोपिंग लिस्ट में भी रखा गया है." विश्व फुटबॉल संघ ने उत्तर कोरिया को 2015 में कनाडा में होने वाली विश्व फुटबॉल चैंपियनशिप में खेलने की अनुमति नहीं दी है. इसके अलावा उत्तर कोरिया के फुटबॉल संघ को जुर्माना देना होगा. खिलाड़ियों पर 18 महीने की रोक है.
खसखस से मुश्किल
खिलाड़ियों को खसखस से बना केक भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि खसखस में मॉर्फिन होता है जो प्रतिबंधित है. गोट्समान बताती हैं कि अगर खसखस ज्यादा खाई जाए तो वह डोपिंग टेस्ट में असर दिखा सकती है. नाडा के मुताबिक वजन कम करने वाली दवाइयां या खाने की जगह इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां भी मुश्किल कर सकती हैं.
रिपोर्ट: सारा फाउपेल/आभा मोंढे
संपादन: वी कुमार