लंदन ओलंपिक को डोपिंग फ्री बनाने की मुहिम
२० जुलाई २०११ब्रिटेन में दवा बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी ग्लैक्सोस्मिकक्लाइन ने यह व्यापक प्रयोगशाला मुहैया कराई है जिसमें अत्याधुनिक परीक्षण उपकरणों के अलावा लगभग 100 वैज्ञानिक 24 घंटे मौजूद रहेंगे. आयोजकों को उम्मीद हैं कि इस तरह लंदन ओलंपिक को नशीली दवाओं की काली छाया से बचाया जा सकेगा.
किंग्स कॉलेज लंदन में ड्रग कंट्रोल सेंटर के प्रमुख डेविड कोवेन लंदन ओलंपिक में डोपिंग पर नजर रखने वाली संस्था के कर्ताधर्ता होंगे. वह कहते हैं, "हमारे पास अत्याधुनिक उपकरण हैं. हमारे पास डोपिंग को पकड़ने वाले बेहतरीन उपकरण हैं." उनके कर्मचारी लंदन ओलंपिक के दौरान पांच हजार टेस्ट करेंगे. इसका मतलब है कि खेलों में हिस्सा लेने वाले करीब दस हजार खिलाड़ियों में से हर दूसरे खिलाड़ी के टेस्ट होंगे.
जैसे जैसे डोपिंग को पकड़ने के वैज्ञानिक तरीके ईजाद हो रहे हैं, उसी तरह बढिया प्रदर्शन की चाह में नशीली दवाओं का इस्तेमाल करने वाले खिलाड़ी भी नित नए तरीके अपनाते रहे हैं. डोपिंग में कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें उपचय रासायनिक, हार्मोन बढ़ाने वाली दवाएं और एरिथ्रोपोएटीन जैसे ब्लड बूस्टर, बीटा ब्लॉकर और कई तरह की शक्ति वर्धक दवाएं शामिल हैं.
ब्रिटेन की यूके एंटी डोपिंग संस्था और वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी मिल कर परीक्षणों और नशीली दवाओं के प्रयोग को पकड़ने और रुकवाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं लेकिन वे इंटरपोल जैसी कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ मिल कर इन नशीली दवाओं की आपूर्ति और तस्करी के बारे में भी खुफिया जानकारी भी जमा कर रही हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन