अमेरिका ने दी परमाणु रिएक्टर बनाने की अनुमति
१० फ़रवरी २०१२जर्मनी ने जापान में हुई परमाणु दुर्घटना के बाद अपने परमाणु बिजलीघरों को बंद करने का फैसला कर लिया है जबकि अमेरिका में इसकी बात सोची भी नहीं जा रही है. राष्ट्रपति बराक ओबामा स्वच्छ ऊर्जा समझकर नए बिजलीघर बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं. 30 साल बाद अमेरिका की सरकार ने पहली बार नए परमाणु रिएक्टरों के निर्माण की अनुमति दी है. नियामक संस्था एनआरसी ने बताया है कि सदर्न कंपनी को जॉर्जिया प्रांत के फोग्टले में अपने वर्तमान परमाणु बिजलीघर का विस्तार करने का लाइसेंस दिया जा रहा है.
पेन्सिल्वेनिया प्रांत के हैरिसबर्ग के निकट थ्री माइल द्वीप पर हुई दुर्घटना के बाद सरकार ने नए लाइसेंस बंद कर दिए थे. वहां आंशिक रूप से परमाणु छड़ पिघलने से भारी पैमाने पर रेडियोधर्मी विकिरण पैदा हो गया था.
बड़ा निवेश
सदर्न कंपनी ने एक बयान में लाइसेंस मिलने को महत्वपूर्ण फैसला बताया है. मामला 14 अरब डॉलर के निवेश का है जो 25,000 नए रोजगार ला सकता है. कंपनी को सरकार से आठ अरब डॉलर का कर्ज लेने की गारंटी भी मिली है. दोनों रिएक्टर 2016 और 2017 से काम करने लगेंगे.
राष्ट्रपति बराक ओबामा परमाणु ऊर्जा पर बहुत जोर दे रहे हैं. वे इसे स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत ही नहीं मानते, इसे अमेरिका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और खनिज तेल पर निर्भरता घटाने के लिए भी जरूरी मानते हैं. करीब सौ पुराने और पुराने होते रिएक्टरों का विस्तार ओबामा कि ऊर्जा नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इनमें देश की 15 फीसदी बिजली बनती है.
विश्लेषकों का कहना है कि ओबामा प्रशासन का यह फैसला परमाणु बिजली के नए उत्थान का संकेत नहीं है. लगभग 30 नियोजित परियोजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी हैं क्योंकि निर्माण का खर्च बहुत ज्यादा है और प्राकृतिक गैस बहुत सस्ती. अमेरिका में अंतिम रिएक्टर 1996 में बनाया गया था.
एनआरसी की पांच सदस्यीय संस्था ने नए रिएक्टर के पक्ष में 4-1 के बहुमत से फैसला किया. समिति के प्रमुख ग्रेगरी याज्को ने बैठक में सुरक्षा चिंताएं रखीं. उन्होंने कंपनी से कठोर सुरक्षा मानकों का पालन करने की मांग की. इन्हें नियामक संस्था फुकुशिमा की दुर्घटना के बाद से तैयार किया है. परमाणु विरोधी संस्थाओं ने एनआरसी के फैसले के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की घोषणा की है.
सारकोजी भी पक्ष में
अपने परमाणु रिएक्टरों को बंद करने के जर्मनी के फैसले के बावजूद राष्ट्रपति निकोला सारकोजी फ्रांस के रिएक्टरों को बंद नहीं करेंगे. इनमें ढाई लाख लोग काम करते हैं. पिछले दिनों उन्होंने जर्मनी की सीमा पर स्थित फेसेनहाइम बिजलीघर में कहा,"परमाणु बिजलीघरों को बंद करने का सवाल ही नहीं है, वे सुरक्षित हैं." इसके विपरीत राष्ट्रपति चुनावों में सोशलिस्ट उम्मीदवार फ्रांसोआ ओलांद ने कहा है कि अगर वे जीतते हैं तो फेसेनहाइम बिजलीघर को बंद कर दिया जाएगा.
जर्मनी में परमाणु बिजलीघरों को जल्द से जल्द बंद करने पर सहमति हो गई है लेकिन परमाणु कचरे को स्टोर करने के मुद्दे पर मतभेद जारी है. अत्यंत रेडियोधर्मी परमाणु कचरे के लिए अभी तक स्थायी स्टोरेज नहीं ढूंढा जा सका है. शुक्रवार को संसद में आस्से के खस्ताहाल गोदाम से परमाणु कचरे के 1,26,000 डिब्बों को शीघ्र हटाने पर बहस हुई. इसे हटाने पर अरबों यूरो खर्च होंगे. ग्रीन पार्टी इस खर्च में परमाणु बिजलीघरों को हिस्सेदार बनाने की मांग कर रहा है. कभी नमक की खदान में बना यह गोदाम सुरक्षित नहीं है और वहां हर रोज 12,000 लीटर पानी घुस रहा है.
रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा
संपादन: ए जमाल