अमेरिकी डील के बाद हटेंगे मुबारक!
४ फ़रवरी २०११अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रशासन ऐसे ही एक समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशों में जुटा है जिसके तहत मिस्र के कई वरिष्ठ नेताओं से भी बातचीत चल रही है. अमेरिका के नामी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने कई अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह खबर छापी है.
अधिकारियों के मुताबिक होस्नी मुबारक के सामने जो प्रस्ताव रखा जाएगा उसके अन्तर्गत अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे उमर सुलेमान देश में संवैधानिक सुधारों का रास्ता साफ करेंगे जिससे सितंबर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराया जाना संभव होगा.
अमेरिकी अधिकारियों को आशंका है कि अगर होस्नी मुबारक अपने पद से नहीं हटे तो मिस्र में हो रहे विरोध प्रदर्शन और बड़े होते जाएंगे और इसके झटके पूरे अरब जगत में महसूस होंगे.
मिस्र के सहयोगी कई अरब देशों में भी ऐसे ही हालात पैदा हो सकते हैं और इसके संकेत मिल भी रहे हैं. वैसे तो होस्नी मुबारक बार बार कह रहे हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति पद से हटने की पेशकश नहीं की है लेकिन अखबार का कहना है कि ओबामा प्रशासन मिस्र के वरिष्ठ नेताओं से इस मुद्दे पर बातचीत में काफी आगे बढ़ चुका है.
वॉशिंगटन का मानना है कि विरोध प्रदर्शनों को बड़े पैमाने पर हिंसा में तब्दील होने से रोकने के लिए जरूरी है कि ऐसे कदम उठाए जाएं जिनसे प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगे पूरी होती हों.
विरोध कर रही आवाम की मांग है कि मुबारक को पद छोड़ना होगा. अखबार ने लिखा है, "दोनों देशों के अधिकारियों के बीच जिन प्रस्तावों पर विचार हो रहा है उनमें एक ऐसी कार्यवाहक सरकार की स्थापना करना है जिसे सेना का समर्थन प्राप्त हो."
इस प्रस्ताव के मुताबिक सेना का समर्थन प्राप्त मौजूदा उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान और रक्षा मंत्री तत्काल प्रभाव से देश में संवैधानिक सुधारों की प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे. साथ ही अंतरिम सरकार विपक्षी संगठनों और पार्टियों से भी बातचीत करेगी.
प्रतिबंधित संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से भी बातचीत किए जाने का प्रस्ताव है ताकि सितंबर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सकें. मुबारक का कहना है कि राष्ट्रपति बने रहकर वह थक चुके हैं लेकिन उन्हें डर है कि अगर वह हटते हैं तो देश में अव्यवस्था फैल जाएगी.
हालांकि अमेरिका की इस योजना में सबसे बड़ी रूकावट होस्नी मुबारक का अपने पद से हटने से इनकार करना है. साथ ही उमर सुलेमान और मिस्र की सेना ने भी संकेत नहीं दिए हैं कि वे मुबारक का साथ छोड़ रहे हैं. मिस्र पर अमेरिका की नीति में एकदम बदलाव उपराष्ट्रपति जो बाइडन, विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और अन्य अधिकारियों की सुलेमान के साथ बातचीत के बाद आ रहा है.
अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य कमांडर माइक मुलेन ने कहा है कि मिस्र की सेना ने भरोसा दिया है कि प्रदर्शनकारियों पर गोलियां नहीं चलाई जाएंगी. मिस्र में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होना है और इसे अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है.
इस रैली को विदाई का शुक्रवार का नाम दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र को आशंका है कि विरोध प्रदर्शनों में अब तक 300 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं हालांकि मिस्र इस आंकड़े को 100 के आसपास बताता है.
रिपोर्ट एजेंसियां एस गौड़
संपादन ए जमाल