अल्बानिया: प्रदर्शनों में तीन की मौत
२२ जनवरी २०११2009 के आम चुनाव के नतीजों को खारिज करने वाली विपक्षी सोशलिस्ट पार्टी के समर्थकों ने शुक्रवार को बैरिशा के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया. वे आधिकारिक भ्रष्टाचार और चुनावी धांधली के आरोपों में सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और पुलिस पर पथराव भी किया.
जवाब में पुलिस ने आंसू गैस, रबड़ की गोलियां और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. टीवी पर प्रसारित तस्वीरों में कई कारों को चलते दिखाया जा रहा जिनमें से कई पुलिस के कई वाहन भी शामिल हैं.
ट्यूनिशिया से तुलना
प्रधानमंत्री बैरिशा ने अपने विरोधियों की तुलना ट्यूनिशिया में सत्ता से बेदखल किए गए राष्ट्रपति जिने अल अबीदीन बेन अली से की है. उन्होंने कहा कि कहा, "अल्बानिया के बेन अलियों के नाजायज बच्चों ने यहां भी ट्यूनिशिया के जैसे हालत पैदा करने की कोशिश की है." वहीं सोशलिस्ट पार्टी के नेता एदी रामा ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों की भीड़ को पुलिस ने उकसाया.
यह अल्बानिया में 1998 के बाद होने वाली सबसे घातक हिंसा है. 1998 में एक सांसद की मौत के बाद लोग सरकारी इमारत में घुस आए. बैरिशा ने कहा, "अल्बानिया में आपातकाल जैसे हालात नहीं हैं और न ही देश इमरजेंसी की तरफ जाएगा. लेकिन हिंसा के इस माहौल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."
तिराना के सैन्य अस्पताल के उपमहानिदेशक अल्फ्रेड गेगा ने पत्रकारों को बताया कि तीन आम नागरिकों की जानें गई हैं. इनमें से एक व्यक्ति को सिर में और बाकी दो को सीने पर नजदीक से गोली लगी. झड़प में 33 प्रदर्शनकारी और 17 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.
नए जख्म मत बनाओ
चश्मदीदों का कहना है कि लगभग 20 हजार प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर जमा थे. वहीं विपक्षी पार्टी प्रदर्शनकारियों की संख्या 10 गुना ज्यादा बता रही है. हिंसा के बाद अल्बानिया के राष्ट्रपति बामीर टोपी ने कहा, "मैं शांति और समझदारी की अपील करता हूं. अल्बानिया को अपने जख्मों को भरना है. नए जख्म नहीं तैयार करने हैं."
विपक्षी सोशलिस्ट पार्टी ने देश में नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है. वह 2009 के चुनावों के नतीजों को नहीं मानती जिनमें बैरिशा की डेमोक्रेटिक पार्टी ने मामूली बढ़त के साथ जीत दर्ज की.
इस बारे में जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए बातचीत नाकाम रही हैं. बैरिशा के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पार्टी के प्रमुख आइलिर मेटा ने भ्रष्टाचार के आरोपों में हफ्ते भर पहले उपप्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
अल्बानिया की संसद में इस हफ्ते दोनों तरफ से हुई बयानबाजी के बाद देश का राजनीतिक तनाव और बढ़ गया. यूरोपीय संघ में शामिल होने के अल्बानिया के आवेदन को पिछले साल खारिज कर दिया गया. यूरोपीय ने अल्बानिया से अपने यहां भ्रष्टाचार से निपटने और कारगर लोकतंत्र कायम करने को कहा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़