आत्महत्या करने वाले थे अन्ना हजारे
१० अगस्त २०११अन्ना और उनके सहयोगी इन दिनों जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सभी साधनों का सहारा ले रहे हैं. मुंबई में अन्ना से वेबदुनिया ने बातचीत की जिसमें अण्णा ने अपने बारे में बहुत सी अनकही बातें बताई, पेश उसके मुख्य अंशः
सरकार से आप क्या चाहते हैं?
मैं सिर्फ इतना चाहता हूं भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए. भ्रष्टाचार के कारण गरीबों का जीना मुश्किल हो गया है. लोकपाल बिल लाया जाए ताकि हर आदमी लोकपाल से शिकायत कर सके. लोकपाल इस मामले की जांच करे. भ्रष्टाचारियों को उम्र कैद होनी चाहिए. उनकी संपत्ति को जब्त किया जाना चाहिए, लेकिन सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी हुई है.
क्या इससे भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है?
लोकपाल के जरिए हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकती है. सोचिए कि राइट टू इनफॉर्मेशन के जरिए ही आदर्श सोसायटी, 2 जी, कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे कई घोटाले उजागर हुए. मंत्रियों को सजा मिली. मैं चाहता हूं कि सभी देशवासी इसके लिए आगे आएं.
एक आम आदमी आपकी कैसे मदद कर सकता है?
16 अगस्त से हम दिल्ली के जंतर मंतर पर 'आजादी की दूसरी लड़ाई' शुरू कर रहे हैं. पर जरूरी नहीं है कि सभी लोग नई दिल्ली पहुंच जाएं. अनशन करें. अपने घर, गांव, तहसील और शहर में रहकर भी वे मेरी मदद कर सकते हैं. वे सात दिनों की छुट्टी लें.
भ्रष्ट व्यवस्था के विरोध में सड़कों पर आएं. मौन रैली निकालें. इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाएं. और भी कई विकल्प हैं हर भारतीय को अपने स्तर पर भ्रष्टाचार का विरोध करना होगा. यदि सभी भारतीय सड़क पर उतर आएं तो सरकार के पास कोई चारा नहीं होगा.
आपने इस आंदोलन को 'आजादी की दूसरी लड़ाई' की संज्ञा क्यों दी?
आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने कभी नहीं सोचा होगा कि आजादी के कुछ वर्षों बाद हमारे देश की यह हालत हो जाएगी. गोरे मालिक चले गए तो काले मालिक आ गए. देश सेवा करने के बजाय वे अपनी तिजोरियां भर रहे हैं. आज चारों ओर दहशत का माहौल है, गुंडादगर्दी है, लूट है, भय है. यह कैसी आजादी है. हमें 'वास्तविक आजादी' चाहिए इसलिए हमें दूसरी बार यह लड़ाई लड़ना पड़ रही है.
समाज सेवा और देश सेवा की प्रेरणा आपको कहां से मिली?
अपनी मां से. उन्होंने मुझे सिखाया कि समाज के लिए हमें कुछ न कुछ करते रहना चाहिए. मेरी मां ने भी मेरे साथ अनशन में हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि अनशन के जरिए जीवन मत समाप्त करना क्योंकि बहुत कुछ अभी करना है.
क्या आप कभी हताश या निराश हुए हैं?
मैं जब 26 वर्ष का था तो जिंदगी से निराश हो गया था. हर कोई पैसे के पीछे भाग रहा है. देश और समाज के लिए सोचने की फुर्सत किसी के पास नहीं. यह देख मैंने आत्महत्या का फैसला किया. तब नई दिल्ली स्टेशन पर स्वामी विवेकानंद की किताब मेरे हाथ लगी. स्वामी विवेकानंद की उस किताब को पढ़कर मुझे जीने का मकसद मिला.
क्या भगवान पर आप विश्वास करते हैं?
हां करता हूं, लेकिन मंदिर वाले भगवान पर नहीं. मैं तो नर को ही नारायण मानता हूं. मुझे तो हर दु:खी या पीड़ित आदमी में भगवान नजर आता है. मैं उनकी सेवा करने को ही पूजा मानता हूं.
क्या अनशन के दौरान आपको भूख नहीं लगती है?
सच कहूं तो पहले दिन तो भूख लगती है, लेकिन दृढ़ निश्चय से इस पर काबू पाया जा सकता है. दूसरे दिन भूख कम लगती है और तीसरे दिन से भूख लगना बंद हो जाती है.
आपने परिवार क्यों नहीं बसाया?
मैं सेना में रहा हूं और युद्ध में भी भाग लिया. उसी दौरान मैंने देश सेवा का फैसला ले लिया था. मां ने कई बार शादी का कहा, लेकिन मैं टालता रहा. शादी करता तो छोटा-सा परिवार होता. अब पूरा देश ही मेरा परिवार है. बिना शादी किए इतनाविशाल परिवार मुझे मिल गया.
अन्ना के साथ आए रेमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता अरविंद केजरीवाल ने बताया कि वे 1992 में भारतीय लोक सेवा में चुने गए और आयकर विभाग में आयुक्त के पद पर रहे हैं. इस लड़ाई में उन्होने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया है. आज उनके पास मात्र दो जोड़ी कपड़ो के सिवा कुछ नहीं है.
इंटरव्यूः समय ताम्रकर (सौजन्यः वेबदुनिया)
संपादनः ए कुमार