इंग्लैंड की ख्वाहिश पर फीफा की बारिश
९ नवम्बर २०११टीम चाहती है कि 11 नवंबर को वह स्पेन के खिलाफ खेलते हुए प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दे. इसके लिए लाल रंग के पोस्ता फूल का एक बैच सा बनाया गया है. टीम उसे जर्सी पर लगाना चाहती है. लेकिन ख्वाहिश को हकीकत में बदलने की कोशिश को फीफा करारा झटका दे चुका है.
फीफा के इनकार से इंग्लैंड नाराज है. बुधवार को यह मुद्दा ब्रिटेन की संसद में उठा. साथियों के तीखे विरोध के चलते प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. कैमरन ने कहा, "यह चौंकाने वाला दिखता है. विचार यह है कि पोस्ता पहन कर हम उन लोगों को याद करना चाहते हैं जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपनी जान दी. इसे राजनीतिक कारण से देखना निरर्थक है. मुझे उम्मीद है कि फीफा इस पर पुर्नविचार करेगा."
पोस्ता के फूल को कई देश प्रथम विश्व युद्ध की याद के तौर पर देखते हैं. 11 नवंबर 1918 में जब पहला विश्वयुद्ध खत्म हुआ तो युद्ध की बंजर भूमि में सबसे पहले पोस्ता का पौधा उगा. तब से ही इंग्लैंड और कई राष्ट्रमंडल देश 11 नवंबर को प्रथम विश्वयुद्ध और उसके बाद हुई लड़ाइयों में मारे गए सैनिकों को याद करते हैं.
वहीं फीफा का कहना है कि टीम की आधिकारिक जर्सी में राजनीतिक और व्यावसायिक गतिविधि को मंजूरी नहीं दी जाएगी. फीफा ने इंग्लैंड के फुटबॉल संघ से कहा है कि वह अन्य विकल्पों पर विचार करें, जिनमें खेल से पहले एक मिनट का मौन शामिल है. फीफा का कहना है, "हमें आपको बताते हुए दुख हो रहा है कि ऐसा प्रस्ताव मानने का मतलब होगा कि भविष्य में दुनिया भर के ऐसे ही प्रस्तावों के लिए रास्ता खोलना. फुटबॉल के खेल की निष्पक्षता को जोखिम में डालना."
वैसे फीफा की बात तर्कसंगत लगती है. खेलों में युद्धों को याद करना इंग्लैंड के भले ही अच्छा लगे लेकिन कुछ अन्य देशों को यह तर्कहीन लगेगा. उसका कहना है कि इंग्लैंड के खिलाड़ी मैच शुरू होने से पहले राष्ट्रगान के बजते समय पोस्ते के फूल वाली टी शर्ट पहन सकते हैं, लेकिन खेल के दौरान आधिकारिक जर्सी ही चलेगी. इंग्लैंड तो शुक्रवार को वर्ल्ड चैंपियन स्पेन से भिड़ना है.
रिपोर्ट: एपी/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार